अपराधों के मामले में महिलाएं भी नहीं पीछे, राज्य की जेलों में 97 महिला कैदी

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राज्य में अपराधों को अंजाम देने के लिए पुरुष ही नहीं, अपितु महिलाएं भी पीछे नहीं हैं। प्रदेश की विभिन्न जेलों में 97 महिला कैदी बंदी बनाई गई हैं, जिनमें से 33 को अदालत ने दोषी करार दिया है, जबकि 64 महिला कैदियों के मामले अदालतों में विचाराधीन हैं। सबसे अधिक आदर्श जेल कंडा में 19 महिला कैदियों को रखा गया है, जिनमें से 14 को दोषी करार दिया जा चुका है, जबकि 5 महिला कैदियों के मामले अदालत में विचाराधीन हैं।

33 को मिल चुकी अदालत से सजा, 64 के मामले अदालतों में विचाराधीन
जिला जेल कैथू की बात करें तो यहां पर 9 महिला कैदियों को रखा गया है और इन सभी के मामले अदालत में विचाराधीन हैं। सजा पा चुकीं 33 महिलाओं में आदर्श सैंट्रल जेल कंडा में 14, आदर्श सैंट्रल जेल नाहन में 9, लाला लाजपत राय जिला ओपन एयर करैक्शनल होम धर्मशाला में 9 व जिला जेल हमीरपुर में 1 कैदी शामिल है।

968 पुरुष कैदियों को अदालत सुना चुकी है सजा
राज्य की जेलों में 2,580 कैदियों को रखने की सुविधा है, जिनमें 2,370 पुरुष व 210 महिला कैदी शामिल हैं, लेकिन इसके विपरीत राज्य की जेलों में 2,785 कैदी रखे गए हैं, जिनमें 2,688 पुरुष व 97 महिला कैदी शुमार हैं। राज्य की जेलों में बंद 2,688 पुरुष कैदियों में से 968 को अदालत द्वारा सजा सुनाई जा चुकी है, जबकि 1,720 कैदियों के मामले राज्य की विभिन्न अदालतों में विचाराधीन हैं।

अन्य जेलों की ये है स्थिति
सितम्बर माह तक जारी आंकड़ों के अनुसार मॉडर्न सैंट्रल जेल नाहन में 13 महिला कैदी रखी गई हैं, जिनमें से 9 को सजा मिल चुकी है और 4 के मामले अदालत में अंडर ट्रायल चले हुए हैं। जिला एयर जेल बिलासपुर में 3 महिला कैदी रखी हैं और इनके मामले कोर्ट में अंडर ट्रायल हैं। जिला जेल चम्बा में 5 महिला कैदियों के मामले भी अदालत में विचाराधीन हैं। लाला लाजपत राय जिला ओपन एयर करैक्शनल होम धर्मशाला में 16 महिला कैदियों को रखा गया है, जिनमें से 9 सजा पा चुकी हैं और 7 के मामले अंडर ट्रायल हैं। जिला जेल हमीरपुर में 1 महिला कैदी अदालत से सजा पा चुकी है। जिला जेल कुल्लू में 5 महिला कैदियों के मामले अंडर ट्रायल हैं। जिला जेल मंडी में 6, उप जेल नूरपुर में 2, जिला जेल सोलन में 12, जिला जेल ऊना बनगढ़ में 6 महिला कैदियों के मामले भी अदालत में विचाराधीन हैं।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक