हिमाचल को निवेश व उद्योगों का हब बनाने की तैयारी : उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान
हिमाचल प्रदेश के उद्योग मंत्री हर्ष वर्धन चौहान ने शुक्रवार को शिमला में कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य प्रदेश को निवेश और उद्योगों के लिए और अधिक आकर्षक बनाना है।उन्होंने बताया कि वर्ष 2004 में केंद्र सरकार द्वारा औद्योगिक पैकेज मिलने के बाद प्रदेश के उद्योगों को बड़ी बढ़त मिली थी। उस समय प्रदेश का औद्योगिक निर्यात लगभग 550 करोड़ रुपए था, जो वर्ष 2025 में बढ़कर 20,000 करोड़ रुपए तक पहुँच गया है। प्रदेश की जीडीपी में उद्योगों का योगदान भी लगातार बढ़ रहा है।
चौहान ने कहा कि बैठक में उद्योग प्रतिनिधियों ने कई मुद्दे उठाए, जिनमें सबसे बड़ी समस्या धारा-118 से जुड़ी है। किसी भी जमीन की एक बार मंजूरी मिलने के बाद यदि कंपनी का नाम या डायरेक्टर बदलता है तो दोबारा अनुमति लेनी पड़ती है, जिससे निवेशकों को परेशानी होती है। सरकार इस नियम में ढील देने पर विचार कर रही है।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने उद्योगों को राहत देने के लिए अक्टूबर से बिजली दरों में 40 पैसे प्रति यूनिट तक की कमी और डीपीटी आधार पर रिफंड देने का आश्वासन दिया है। मंत्री ने कहा कि सरकार निवेशकों की हर समस्या का समाधान करेगी और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को और बेहतर बनाया जाएगा, ताकि हिमाचल प्रदेश देश का अग्रणी औद्योगिक राज्य बन सके।
प्राकृतिक आपदाओं को लेकर मंत्री ने कहा कि वर्ष 2023 में प्रदेश को लगभग 10,000 करोड़ और 2025 में करीब 4,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ, लेकिन इसके बावजूद सरकार ने स्थिरता बनाए रखी है। उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री सुक्खू के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार 2027 तक मजबूती से कायम रहेगी।
राजस्व बढ़ाने के लिए नदी-नालों से खनन (River Bed Mining) को आवश्यक बताते हुए चौहान ने कहा कि वर्तमान में फॉरेस्ट कंजरवेशन एक्ट (FCA) के चलते केवल एक साइट पर अनुमति मिली है, जबकि 32 नदियों के किनारे 3022 साइट्स प्रस्तावित हैं। इसके लिए केंद्र सरकार से वन-टाइम अनुमति मांगी गई है।