
हिमाचल प्रदेश में चिट्टे के अवैध कारोबार में युवाओं के साथ ही सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों की संलिप्तता भी सामने आ रही है। शिमला पुलिस के मिशन क्लीन के तहत एनडीपीएस के मामलों में कई ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। हैरानी इस बात की है कि ऐसे मामलों में पुलिस के कर्मचारी भी पकड़े गए हैं। शिमला पुलिस अभी तक दो पुलिस कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त भी कर चुकी है। इस कड़ी कार्रवाई का मकसद समाज में संदेश देना है कि चिट्टे के अवैध नेटवर्क को तोड़ने के लिए किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। पिछले दिनों पुलिस ने 24 ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों की सूची प्रदेश सरकार को भी भेजी है। इसमें नशा तस्करी के मामलों में संलिप्त ऐसे लोगों का ब्योरा साझा करके उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की सिफारिश की गई है। शिमला पुलिस ने नशा तस्करी के नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए इस साल मिशन भरोसा के तहत विशेष अभियान चलाया है। इसमें अभी तक करीब 180 मामलों में 400 से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इसमें संदीप शाह, शाही महात्मा, बूटा सिंह, गुरमीत गिरोह, विजय सोनी जैसे अंतरराज्यीय चिट्टा तस्कर गिरोह शामिल हैं। अभी तक की जांच में इन गिरोहों की करोड़ों की चिट्टा तस्करी की बात सामने आ चुकी है।
शिक्षक, डॉक्टर और पुलिस कर्मी भी पकड़े
शिमला पुलिस ने नशा तस्करी के नेटवर्क को तोड़ने के लिए बड़े स्तर पर कार्रवाई की है। चिंता की बात यह है कि नशे की लत का शिकार होकर हर वर्ग के लोग इस दलदल में फंसते जा रहे हैं। पुलिस शिक्षक, डॉक्टर और पुलिस कर्मियों के साथ ही विभिन्न विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों को गिरफ्तार कर चुकी है। शहरों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी यह नशा अपने पैर पसार चुका है। शिमला जिले में शहर से ज्यादा रोहडू, ठियोग, रामपुर, जुब्बल और कोटखाई क्षेत्र में चिट्टा तस्करी के मामले सामने आ चुके हैं।
पंजाब में भी मामले दर्ज
पकड़े गए कई ऐसे लोग भी हैं, जिनके खिलाफ पंजाब में भी मामले दर्ज हैं। दिल्ली से चिट्टा तस्करी का नेटवर्क चला रहे नाइजीरियन मूल के लोगों को भी कई मामलों में पुलिस सलाखों के पीछे पहुंचा चुकी है।
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