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शूलिनी मेले के दूसरे दिन ठोडा नृत्य बना आकर्षण का केंद्र

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सोलन की पावन धरती पर आयोजित तीन दिवसीय राज्य स्तरीय माता शूलिनी मेले का आज दूसरा दिन परंपराओं और लोक संस्कृति की झलकियों से सराबोर रहा। ऐतिहासिक ठोडा नृत्य प्रतियोगिता इस दिन का मुख्य आकर्षण रही, जिसमें प्रदेश के सिरमौर और शिमला जिलों सहित कुल छह ठोडा दलों ने भाग लेकर अपनी पारंपरिक युद्ध शैली का प्रदर्शन किया।  ठोडा नृत्य में प्रतिभागियों ने पारंपरिक वेशभूषा, धनुष-बाण और संगीत की ताल पर अपने अद्वितीय कौशल से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उपायुक्त सोलन मनमोहन शर्मा ने जानकारी दी कि यह पारंपरिक ठोडा खेल महाभारत काल से जुड़ा हुआ है और इसे जीवंत बनाए रखना हमारी सांस्कृतिक जिम्मेदारी है, ताकि आने वाली पीढ़ी इस अमूल्य विरासत से जुड़ सके।

इसी बीच, मेले में बच्चों के लिए विभिन्न प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गई, जिनमें चित्रकला, लोकगीत और भाषण जैसे कार्यक्रमों ने माहौल को और जीवंत बना दिया। इससे पहले शुक्रवार को मेले का विधिवत शुभारंभ माता शूलिनी की भव्य शोभायात्रा से हुआ। भारी संख्या में श्रद्धालु मां शूलिनी की पालकी यात्रा में शामिल हुए, जो नगर भ्रमण के उपरांत गंज बाजार स्थित माता दुर्गा मंदिर पहुंची। यहीं माता का तीन दिवसीय प्रवास शुरू हुआ, जहां धार्मिक अनुष्ठान व सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की श्रृंखला जारी है।

     मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंदिर में शीश नवाकर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि यह मेला न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने श्रद्धालुओं द्वारा लगाए गए भंडारों को हिमाचल की सेवा भावना और लोक संस्कृति का अद्भुत उदाहरण बताया। शोभायात्रा के दौरान पूरा सोलन शहर भक्ति और उल्लास में डूबा रहा। सजे-धजे रथ, ढोल-नगाड़ों की गूंज, पारंपरिक वेशभूषा में लोक कलाकार और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ ने इस पर्व को विशेष बना दिया।

गौरतलब है कि यह मेला प्रतिवर्ष आषाढ़ मास में नगर की कुलदेवी माता शूलिनी के सम्मान में आयोजित होता है। प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सुरक्षा और अन्य व्यवस्थाओं के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक