दवाइयों के विश्लेषण के लिए प्राइवेट लैब को किस आधार पर प्रमाणपत्र जारी किया जाता है, इसके बारे में जवाब मांगा है। मंगलवार को डिप्टी कंट्रोलर व्यक्तिगत तौर पर अदालत में पेश हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि नमी, तापमान पैकिंग और ट्रांसपोर्ट करते वक्त बहुत सारी दवाइयां खराब हो जाती हैं। अदालत ने नाराजगी जताई और पूछा कि दवाइयों को मार्केट में लाने से पहले कितनी बार टेस्टिंग की जाती है।
वर्ष में एक बार संयुक्त जांच
उन्होंने अदालत को बताया कि सरकार केंद्र के साथ वर्ष में एक बार संयुक्त जांच करती है। आखिरी बार तीन महीने पहले टेस्टिंग हुई है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि नियमानुसार दवाइयों के सैंपलों की हर महीने जांच की जानी चाहिए, ऐसा नहीं हो रहा है। कई नामी कंपनियों के उत्पाद जैसे मिस्वाक टूथ पेस्ट का सैंपल भी फेल पाया गया, डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने अदालत को आश्वस्त किया कि नियम बनाने और सजा का प्रावधान बढ़ाने के लिए मामला केंद्र से उठाएंगे।