सुबाथू के रड़ियाणा में निरंकारी बाल समागम का किया गया आयोजन
इस बाल समागम की अध्यक्षता करते हुए समाना-पंजाब से आये युवा महात्मा सतनाम जी ने कहा कि दिखने में तो बच्चे ही थे पर जो संदेश इन्होने दिया वह बहुत बड़ा था। बच्चों ने कई प्रकार की कलाओं का सहारा लेते हुए यह बताने का प्रयास किया कि मर्यादा व अनुशासन में रहकर जीवन व्यतित करना चाहिए । उन्होंने निरंकारी सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज की शिक्षाओं का जिकर करते हुए बताया कि मानुष जन्म बहुत ही अनमोल है हमें व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए बल्कि सत्संग-सेवा-सिमरन में लगाना चाहिए।