Third Eye Today News

जीनियस ग्लोबल स्कूल के बच्चे पहुंचे आशा भवन आश्रम -बांटे गर्म कपड़े-राशन, डांस कर किया बुजुर्गों का मनोरंजन

Spread the love

जीनियस ग्लोबल स्कूल के बच्चे सोलन-सुबाथू रोड स्थित आशा भवन वृद्धाश्रम बुजुर्गों से मिलने पहुंचे। शेयरिंग इज केयरिंग थीम पर आधारित इस प्रोग्राम में अध्यापकों सहित कक्षा चौथी से आठवीं कक्षा के करीब 70 बच्चों ने भवन में बुजुर्गों सहित दिन बिताया। इस दौरान बच्चों ने बुजुर्गों को मदद के तौर पर पहनने के लिए गर्म कपड़े, सोने के लिए बिस्तर और खाने के लिए राशन भेंट किया। स्कूल की मैनेजिंग डायरेक्टर नीति शर्मा ने बताया की बच्चे हर वर्ष आशा भवन विजिट कर जरूरत का सामान भेंट करते है।
इस दौरान वे बुजुर्गों के साथ समय बिताते हैं। इस वर्ष भी मॉनसून सीजन की शुरुआत में बच्चे बुजुर्गों से मिलने पहुंचे। स्कूल के साथ कुछ सामान बच्चो ने अपने स्तर पर भेंट किया। नीति ने बताया की आश्रम में करीब 25 बुजुर्ग है। उन्होंने शिक्षकों सहित बच्चों का स्वागत किया। बच्चों ने सामान डिस्ट्रीब्यूट करने के बाद बुजुर्गों के साथ खूब मस्ती की। बच्चों ने जहां गीत गाए वहीं डांस कर बुजुर्गों का खूब मनोरंजन किया। यही नहीं बुजुर्ग भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने
बच्चों के साथ अपने जीवन के कई दिलचस्प किस्से साझा किए। बच्चों ने उनके जीवन और जज्बे को सलाम किया। बच्चों ने सबक लिया की कैसे कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना करना चाहिए। शर्मा ने बताया की यह दौरा शेयरिंग एंड केयरिंग वीक 2024 का पहला चरण था। अगला चरण अक्टूबर में त्योहारी सीजन से पहले होगा। इस पहल के अंतर्गत हर साल दो बार बच्चों को वृद्धाश्रम और अनाथालय जैसे संस्थानों में ले जाया जाता है, ताकि वे समाज के वंचित वर्गों के प्रति संवेदनशीलता और समझ विकसित कर सकें। साथ ही बच्चों को सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक करना है जिससे उनमें दूसरों की सेवा में खुशी का अनुभव मिल सके।

फ़ोटो कैप्शन: आशा भवन में बुजुर्गों को जरूरत का सामान भेंट करते बच्चे

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक