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देश के 100 बड़े मंदिर एम्स जैसे अस्पताल चलाने में सक्षम – शान्ता कुमार

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क्वारंटाइन हुए पूर्व सीएम शांता कुमार : The Dainik Tribuneहिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शान्ता कुमार ने कहा आजादी के 75 वर्षों में सभी सरकारों ने विकास का प्रयत्न किया है । पिछले 8 वर्षो में श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में जो भी अधिक से अधिक हो सकता है वह भारत में किया , बहुत विकास हुआ है इसके बाद भी बढ़ती आबादी तथा कुछ और कारणों से अभी गरीबी और पिछड़ापन है । सभी जगह सब सुविधाएं नहीं है । उन्होंने कहा भारत में कुल 5 लाख मन्दिर है । मन्दिरों की आय भारत सरकार की आय से भी कई गुणा अधिक है । भारत के सभी मन्दिरों की कुल अर्थ व्यवस्था 3 लाख करोड़ रू ० की है । नगद धन के साथ सोने का दान भी बहुत अधिक होता है । 2021 में तिरूपति मन्दिर में 3 हजार करोड़ रू ० नगद और 6 हजार करोड़ का सोना दान में आया था । दक्षिण के कुछ मन्दिरों में सदियों से पड़ा हुआ सोना बन्द तालों में रखा है , किन्हीं कारणों से खोला तक नही गया ।
शान्ता कुमार ने कहा कुछ मन्दिर अपनी आय का जनता के लिए बढ़िया उपयोग करते एक मन्दिर विश्वविद्यालय चला रहा है , कुछ और भी जन कल्याण के काम कर रहे है । परन्तु सभी मन्दिर ऐसा नहीं कर रहे । मन्दिरों में धन और सम्पत्ति भी देश की है । यदि कुछ मन्दिर जन कल्याण का काम कर सकते है तो बाकी मन्दिरों को भी ऐसा करने के लिए सरकार को प्रेरित करना चाहिए और आवश्यकता हो तो कानून भी बनाया जाना चाहिए ।
शान्ता कुमार ने कहा भारत में कम से कम 100 ऐसे बड़े मन्दिर है जो भारत सरकार के एम्स की तरह के बड़े हस्पताल चला सकते है । बाकी सभी मन्दिर जन कल्याण के छोटे काम कर सकते है । सरकार इस पर विचार करे । देश के 100 बड़े मन्दिरों को एम्स की तरह के 100 हस्पताल जिनमें गरीबों का ईलाज मुफ्त हो चलाने के लिए बाध्य किया जाए । बाकी देश के प्रत्येक मन्दिर की आय के अनुसार छोटी या बड़ी गौशाला चलायें । इस निर्णय से पूरे देश को स्वास्थ्य सुविधा मिलेगी और पूरे देश में सड़क पर कोई गाय आवारा नजर नहीं आयेगी । गाय को माता मानने वालों को शार्मिदा नहीं होना पड़ेगा । इन दो अति महत्वपूर्ण कामों को पूरा करने के लिए सरकार को कुछ खर्च नहीं करना पड़ेगा । जब मन्दिर समाज सेवा का ऐसा काम करने लगेंगे तो मन्दिरों में दान की आय भी बढ़ जायेगी ।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक