नगर एवं ग्राम योजना विभाग के तत्वाधान में कण्डाघाट विकास खण्ड की ग्राम पंचायत सकोड़ी के सभागार में उपस्थित जनप्रतिनिधियों एवं अन्य को हिमाचल प्रदेश नगर एवं ग्राम योजना अधिनियम 1977 व चायल विशेष क्षेत्र में लागू नियमों तथा विनियमों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। बैठक की अध्यक्षता नगर एवं ग्राम योजनाकार लीला श्याम ने की। बैठक में ग्राम पंचायत हिन्नर, झाझा, सकोड़ी, नगाली, दंघील, बांजनी, रहेड़ तथा चायल के जनप्रतिनिधियों ने भाग लिया। लीला श्याम ने इस अवसर पर कहा कि पंचायत प्रतिनिधि सम्बन्धित ग्राम पंचायतों में लोगों को नगर एवं ग्राम नियोजन के नियमों की जानकारी दें ताकि सभी निर्माण कार्य योजनाबद्ध तरीके से हों। उन्होंने अपार्टमेंट/रेरा विनियम के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति अधिसूचित योजना व विशेष क्षेत्र मे 500 वर्ग मीटर भूमि पर प्लाॅट या 8 से अधिक अपार्टमेंट के निर्माण का विक्रय करना चाहता है तो उसके लिए रेरा के अन्तर्गत पंजीकृत होना आवश्यक है।
उन्हांेने कहा कि यदि किसी को सोलन जिला में कहीं भी 2500 वर्ग मीटर भूमि पर प्लाॅट या अपार्टमेंट का निर्माण कर उसका विक्रय करना हो तो ऐसे क्षेत्र को डीम्ड योजना क्षेत्र समझा जाएगा। ऐसे क्षेत्र के लिए नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग से स्वीकृति लेना व भू-सम्पदा (रेरा) के अन्तर्गत पंजीकृत होना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा लोगांे की सुविधा के लिए आॅनलाईन योजना स्वीकृति प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। लीला श्याम ने इस अवसर पर लोगों को अवैध निर्माण तथा भविष्य में इससे उत्पन्न होने वाली समस्याओं के बारे में अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि इन सभी समस्याओं से निपटने के लिए विभाग की स्वीकृति के बिना कोई भी निर्माण न किया जाए। बैठक में सहायक नगर एवं ग्राम योजनाकार रमेश भारद्वाज ने शहर एवं नगर योजना की आवश्यकता तथा महत्व के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने नगर एवं ग्राम योजना अधिनियम 1977 के अधीन राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित विभिन्न नीतियों एवं नियमों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने योजनाबद्ध निर्माण के लाभ भी बताए। उन्होंने कहा कि निर्माण योग्य भूमि का सही आकार होने से अपने गांव एवं शहर योजनाबद्ध विकास होगा। मकान के चारों ओर सैट-बैक्स (खुले स्थान) छोड़ने से मकान में नमी व बीमारियों से राहत, उचित हवा व रोशनी उपलब्ध होगी। इससे प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के साथ-साथ अन्य सुविधाएं भी मिलेंगी।
उन्होंने कहा कि सीमित मंजिल के मकान जहां सुरक्षित हैं वहीं आवास के भीतर उचित पार्किंग की व्यवस्था सभी के लिए लाभदायक है। योजना अधिकारी राजमोहन सिंह ने हिमाचल प्रदेश टीसीपी विनिमय 7 तथा 8 के बारे मे विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने हिमाचल प्रदेश टीसीपी अधिनियम 1977 की धारा 16 (सी) के बारे में पंचायत प्रतिनिधियों अवगत करवाया। प्लाॅट सब डिविजन की उपयोगिता व इसे न करवाने के दुष्परिणामों की जानकारी दी गई। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा 27 मार्च 2009 को जारी अधिसूचना के अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में निर्माण के लिए छूट प्रदान की गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में 600 वर्ग मीटर फलोर एरिया तक के तीन मंजिला रिहायशी भवन निर्माण के लिए विभाग की अनुमति की आवश्यकता नहीं है। इसके लिए कोई शुल्क भी देय नहीं है। उन्होंने वर्षा जल संग्रहण टैंक तथा सौर उर्जा के प्रयोग की जानकारी भी दी। इस अवसर पर विभिन्न ग्राम पंचायतों के पंचायत प्रतिनिधि, वरिष्ठ योजना प्रारूपकार बलराज, प्रारूपकार जसबीर सिंह, रविन्द्र वर्मा तथा सागर कुमार उपस्थित थे।
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