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2 दिनों तक मासूम बच्चों सहित गुफा में भूखे-प्यासे रहे 40 लोग, प्रशासन ने नहीं ली कोई सूध

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भारी बारिश से जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति में हुई तबाही के बाद अभी भी हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं। घाटी के कई गांवों का संपर्क एक-दूसरे से कटा हुआ है। जिला के चांगुट गांव का भी मंजर खौफनाक बना हुआ है। तबाही के बाद यहां अभी तक किसी तरह की राहत नहीं पहुंच पाई है। जबकि गांव में तीन मकान पूरी तरह से बाढ़ में बह गए हैं।

 

वहीं जमीन फसलों के साथ ही तहस-नहस हो गई है। अब गांव के कई परिवारों के पास पास न तो रहने को मकान बचा है और न खेती करने को जमीन…..जो फसल उगा रखी थी वह जमीन के साथ ही नष्ट हो गई। खाने-पीने का सामान सब मकान के साथ बह गया है। 

इसी बीच एक और बड़ी बात सामने आई है। गांव में आई बाढ़ के दौरान ग्रामीण जान बचाकर भाग खडे़ हुए और दो दिनों तक गांव के 40 लोग एक गुफा में रहे। इनमे मासूम बच्चे भी शामिल थे। उनके पास खाने को कुछ था और ही सोने के लिए कपडे़ आदि । बस जो शरीर में कपडे़ पहन रखे थे, उनके सहारे ही दो दिन बिताए।

प्रभावित लोगों ने बताया कि चांगुट गांव में जब बाढ़ आई तो वह दूसरी तरफ भागे। यहां उन्होंने एक गुफा में शरण ली और गांव में जो मकान बचे थे वह नाले के दूसरी तरफ रह गए थे। ऐसे में दो दिनों तक उन्हें गुफा में ही रहना पड़ा। उनकी माने तो प्रशासन की ओर से सिर्फ एक पटवारी आया था, लेकिन राहत के नाम पर कुछ नहीं मिला। जबकि उनके पास न तो खाने को कुछ बचा था और न ही कोई दवाईयां आदि थी। प्रशासन की ओर से उन्हें पांच दिन बीत जाने तक कोई सहायता मिल पाई है।

पूर्व विधायक एवं कांग्रेस नेता रवि ठाकुर प्रभावितों का हाल जानने के लिए चांगुट गांव पहुंचे। यहां उन्होंने प्रभावितों के साथ बात की और उन्हें हर संभव सरकार और प्रशासन से सहायता दिलाने का आश्वासन दिया है। उन्होंने इस दौरान सरकार और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लगाते हुए कहा है कि प्रशासन का इतने दिनों तक गांव के प्रभावित लोगों तक सहायता न पहुंचाना दुर्भाग्यपूर्ण है।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक

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