साहब रहने दो गांव का दौरा… पेड़ से पांव फिसला तो नीचे पानी का बहाव पता नहीं कहाँ से कहाँ पहुंचा दे”

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साहब रहने दो गांव का दौरा… पेड़ से पांव फिसला तो नीचे पानी का बहाव पता नहीं कहाँ से कहाँ पहुंचा दे” ” पदम तू रहने दे, मैं खुद चला जाऊंगा ” कहकर साहब ने पेड़ पर पांव रख दिया तो मेरी हवाइयां उड़ने लग गईं कि अगर थोड़ा सा भी बैलेंस बिगड़ा तो उफनती वास्पा नदी सीधे करछम बांध में फेंकेगी। मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह के मुख्य सिक्योरिटी गार्ड Padam Thakur बताते हैं कि किन्नौर में आई बाढ़ से बहुत से पुल बह गए थे जिससे कई गांव शेष दुनिया से कट गए थे।प्रशासन उन पीड़ितों तक पहुंचने में असफल था इसलिए राहत पहुंचाने का कोई रास्ता नहीं था।ओर फिर राजा साहब ने उस तरफ जाने की जिद्द पकड़ ली। राजा साहब को अब कौन समझाए की पार गांवों तक पहुंचने के लिए उफनती नदी कैसे पार करनी ? प्रशासन के हाथ पांव फूल गए जब राजा साहब शिमला से उन गांवों का दौरा करने निकल पड़े। आनन फानन में मीटिंग बुलाई गई कि राजा साहब को कैसे रोका जाए।अंत मे यह फैसला हुआ कि नदी के इस तरफ ही कोई जनसभा करवा दी जाए।पेच वहीं फंसा था कि साहब न माने तो ? लेकिन सभी अधिकारी इस बात से सहमत थे कि जब आगे जाने का रास्ता नहीं मिलेगा तो साहब खुद मान जाएंगे। साहब का काफिला आ पहुंचा।आगे कुछ किलोमीटर पैदल चलने के बाद साहब को बताया कि यहां पुल बह गया है आगे नहीं जाया जा सकता। तो साहब ने कुछ स्थानीय लोगों से पूछ लिया कि फिर वहां से लोग कैसे आ जा रहे हैं।तब उन्हें बताया गया कि एक देवदार के पेड़ को नदी के आर पार डाला गया है उसी पर चल कर कुछ लोग नदी पार कर रहे हैं। साहब ने उस तरफ चलने का इशारा किया। वो जगह ऊंचाई पर थी।साहब ने हाथ मे लकड़ी का डंडा पकड़ा और चढ़ गए सारी चढ़ाई ओर पहुंच गए उफनती नदी के छोर पर। बड़ा ही डरावना दृश्य था।नीचे तेज़ बहती नदी और ऊपर देवदार के कटे पेड़ का टेम्परेरी पुल।कुछ लोग उस पार से पेड़ से होकर इस पार आ गए।तो राजा साहब ने जिद्द पकड़ ली की पार जाना है तो जाना है। मैंने समझाया कि साहब यह बड़ा खतरनाक होगा।तो साहब बिफर गए और मुझे डांट कर हाथ छुड़ाकर पेड़ पर पांव रख दिया।सभी हाथ जोड़कर बिनती करने लग गए कि यह जान हथेली पर रखने वाली बात होगी।पर साहब न माने। फिर एक रस्सी आर पार फेंकी गई उसी के सहारे पार जाना था। पानी की आवाज़ इतनी खतरनाक थी कि कलेजा बाहर आ रहा था।साहब ने मुझे पीछे धकेला ओर चल पड़े। एक एक कदम जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष था।पर बिना डर भय के साहब के कदम बढ़ते जा रहे थे और मेरे दिल की धड़कनें नीचे बहते पानी से भी तेज थी। सांसें फूली हुई थी ओर किसी की हिम्मत नहीं हुई कि पीछे चलें।पेड़ का पुल भी 50 फिट होगा।वो पचास कदम मुझे जिंदगी में कभी नहीं भूलेंगे। एक एक कदम मोत की तरफ बढ़ रहा था।पर साहब को पता नहीं क्या हो गया था।ऐसे चल रहे थे जैसे वो यहां हर घँटे आर पार जाते हों। पार गांवों के लोग सांस रोके हम एकटक नदी पार करते देख रहे थे और राजा साहब जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे। पुल पार करते ही राजा साहब लोगों से मिले और प्रदेश के मुखिया को इन बिषम परस्थितियों में अपने बीच पाकर हर चेहरा अपना दुख दर्द भूल गया और मुझे फिक्र बापिस जाने की थी…..!!! ❤❤
#राजा_तां_फकीर_है

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक