हिमाचली सेब के भारतीय बाजार पर अब अमेरिका ने भी गड़ाई नजर
हिमाचली सेब के भारतीय बाजारों पर अमेरिका की पैनी नजर है। देश के बाजारों में भारी आयात शुल्क होने के बावजूद रणनीतिक तरीके से सेब उतारने की तैयारी है। इसके संकेत यूएसए के कृषि विभाग की विदेशी कृषि सेवा रिपोर्ट से मिले हैं। इसे एक वेबसाइट पर साझा किया है। रिपोर्ट को कृषि विशेषज्ञ अंकित चंद्रा ने तैयार किया है, जिसे मार्क रॉसमैन ने स्वीकृति दी है। रिपोर्ट में जहां कोविड काल में भारत में सेब की मांग बढ़ने का जिक्र है तो यह भी लिखा है कि अफगानिस्तान से वस्तुओं के आयात पर भारत में 50 फीसदी टैरिफ छूट है।
रिपोर्ट के अनुसार भारतीय बाजार वर्ष 2020-21 में 2.3 मिलियन मीट्रिक टन का उत्पादन हुआ है। वर्ष 2019-20 से मौसम के अनुकूल न रहने के कारण फ्लावरिंग स्टेज घट गई। ऐसे में सेब का आयात वर्ष 2020-21 के लिए 0.24 मिलियन मीट्रिक टन करने का आकलन किया। इसके मुताबिक भारत का सेब उत्पादन उत्तरी राज्यों तक सीमित है। यहां जम्मू-कश्मीर में सबसे ज्यादा 70 फीसदी सेब होता है, हिमाचल प्रदेश में 21.5 से 25 फीसदी, उत्तराखंड में छह प्रतिशत और पूर्वोत्तर के पहाड़ी राज्य अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और सिक्किम में भी कम सेब होता है। मार्केटिंग वर्ष 2020-21 में प्रदेश का सेब स्कैब के कारण भी गुणवत्ता से प्रभावित हुआ है। भारत सरकार जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में सेब पैदावार बढ़ाने और 30 से 35 साल पुराने बगीचों के जीर्णोद्धार के लिए प्रयास कर रही है। इनमें रेड और रॉयल डिलिशियस व रिच रेड किस्में हैं।
बेशक भारत दुनिया के बडे़ सेब उत्पादक देशों में से एक है, मगर यहां का उत्पादन घरेलू मांगों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। मांग कोविड -19 के दौरान ज्यादा बढ़ी है। अमेरिकी सेब पर 70 फीसदी टैरिफ है, इससे व्यापार प्रभावित हुआ है। हालांकि भारत-अफगानिस्तान के बीच व्यापारिक समझौते के तहत बेसिक इंपोर्ट ड्यूटी पर 50 फीसदी टैरिफ की छूट है, अगर वस्तुएं अफगानिस्तान से आयात की जाएं। स्पष्ट किया गया है कि यह रिपोर्ट वस्तुओं के मूल्यांकन और व्यापारिक मामलों के बारे में यूएसडीपी स्टाफ की रिपोर्ट है। ये यूएस सरकारी नीति की आधिकारिक स्टेटमेंट हो, यह जरूरी नहीं।
तो क्या ईरान के बाद अमेरिका भी कर रहा अफगानिस्तान के रास्ते सेब आयात की तैयारी
रिपोर्ट में जिस तरह अफ गानिस्तान के भारत के साथ व्यापारिक समझौते की बात की गई है, उससे प्रदेश के सेब बागवानों के जहन में यह सवाल है कि तो क्या अमेरिका ने भी अफगानिस्तान के रास्ते भारत की मंडियों में सेब उतारने की तैयारी कर ली है। ईरान और कई अन्य देशों का सेब सार्क देशों से भारत में उतारने पर पहले ही राज्य के बागवान चिंता जता चुके हैं। हिमाचल प्रदेश फूल, फल एवं सब्जी उत्पादक संघ के प्रदेशाध्यक्ष हरीश चौहान ने मांग की है कि हिमाचली सेब को अच्छे दाम दिलाने का प्रयास किया जाए। विदेशों से सेब के आयात को हतोत्साहित किया जाए।