वीरभद्र सिंह 1977 में लोकसभा चुनाव में 118 किमी पैदल सफर कर पहुंचे पांगी
हिमाचल प्रदेश की सियासत के सितारे पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का जनजातीय क्षेत्र पांगी से गहरा नाता रहा है। वे अक्सर पांगी के लोगों से रोहड़ू में एक मकान और दूसरा पांगी में होने की बात किया करते थे। 4 अगस्त 1984 को वीरभद्र सिंह देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को पांगी लाए और यहां की स्थितियों से अवगत कराया। इंदिरा गांधी हेलीकॉप्टर के जरिये कश्मीर से पांगी और बाद में लाहौल गई थीं। इसके बाद वीरभद्र सिंह ने 15 अप्रैल 1986 को पांगी में रेजिडेंट कमिश्नर को बैठाकर उन्हें ही विशेष सचिव की शक्तियां प्रदान कीं। पहले रेजिडेंट कमिश्नर के तौर पर आईएएस सुभाष नेगी की तैनाती हुई। सेना के हेलीकाप्टर के जरिये पांगी में जीप और डोजर पहुंचा कर सड़क का कार्य आरंभ हो पाया। करीबन दो माह बाद 28 किमी सड़क किलाड़ से वृद्धांवन के लिए बनी। इस दौरान पांगी में पहली जीप का इस्तेमाल किलाड़ अस्पताल से हेलीपैड तक मरीजों को लाने के लिए किया जाने लगा।
ब्लॉक कांग्रेस के अध्यक्ष सुभाष चौहान और पूर्व ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष ज्ञान सिंह चौहान ने बताया कि वर्ष 1977 में लोक सभा चुनाव के दौरान वीरभद्र सिंह किश्तवाड़ से 118 किमी का पैदल सफर तय कर पांगी पहुंचे थे।पांगी के लोगों को ही पैदल छह दिन किश्तवाड़ से पांगी पहुंचने में लगते थे। धरवास पहुंचने पर उनके पांव में सोजिश आ चुकी थी। वापसी के दौरान वीरभद्र सिंह किश्तवाड़ से कोकसर होते हुए लाहौल के लिए रवाना हुए।जाते वक्त विखबलोई नामक जगह पर रास्ता बनाने के लिए लगाई गई लोहे की रॉडों पर बिछाए तख्तों में वीरभद्र सिंह का पैर फिसल गया। इस दौरान किलाड़ निवासी कांग्रेस के कर्मठ कार्यकर्ता देवी सिंह ने उनका हाथ पकड़कर जान बचाई।प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्तूबर 1984 को हत्या कर दी गई। जिसके चलते वीरभद्र सिंह पांगीवासियों को चैहणी सुरंग की सौगात नहीं दिलवा पाए।