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एनसीईआरटी से 8 से 385, निजी प्रकाशकों से खरीदी 1800 रुपये तक की पुस्तकें, खुली समग्र शिक्षा अभियान की पोल

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हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2018-19 में शिक्षा विभाग ने एनसीईआरटी की 8 से 385 रुपये और निजी प्रकाशकों की 1800 रुपये तक की पुस्तकें खरीदी हैं। एक प्रकाशक से खरीदी गई 1800 रुपये की 15 पुस्तकों के सेट को प्रदेश भर के प्राइमरी, मिडल और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों के पुस्तकालयों के लिए खरीदा गया। सरकारी और निजी प्रकाशकों से खरीदी गई पुस्तकों की कीमतों में भारी अंतर कई सवाल खड़े कर रहा है। इसके अलावा वर्ष 2018-19 में एक नेता, सेवानिवृत्त अफसरों सहित कुछ विशेष प्रकाशकों की कई महंगी पुस्तकें भी खरीदी गई हैं। किताबों की गुणवत्ता को लेकर निजी प्रकाशकों की पुस्तकें एनसीईआरटी से बेहतर हो सकती है लेकिन कीमतों में अंतर काफी होना कई सवाल खड़े रहा है।

किताबें(प्रतीकात्मक)

2018-19 में हुई पुस्तक खरीद के दौरान 1800 रुपये की महंगी पुस्तक के साथ प्राइमरी स्कूल के लिए एनसीईआरटी से भी खरीद हुई है। प्राइमरी स्कूलों के लिए खरीदी गई एनसीईआरटी की किताबों की कीमत आठ रुपये से 385 रुपये तक है। निजी प्रकाशकों की पुस्तकों की कीमत 44 रुपये से 1800 रुपये तक है। मिडल और उच्च स्कूलों के लिए की गई पुस्तकों की खरीद में भी इसी तरह का भारी अंतर है। किसके इशारे पर प्रदेश भर के स्कूली पुस्तकालयों के लिए महंगी खरीद की गई यह छानबीन के बाद ही पता चल पाएगा। बता दें कि प्रदेश के एक बड़े नेता की 600 रुपये, सेवानिवृत्त अफसर की 1400 रुपये और विशेष प्रकाशकों की 600 से 1800 रुपये तक की कीमत की पुस्तकें खरीदी गई हैं।


पुस्तक खरीद मामले में परत दर परत समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना कार्यालय की पोल खुल रही है। हालांकि, समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना कार्यालय की ओर से पुस्तकों की खरीद के लिए जिला डाइट को पैसा जारी किया था लेकिन जिला अधिकारियों को चयनित पुस्तकों की लिस्ट भी साथ में भेजी गई थी। जिलों को जारी पत्र में स्पष्ट किया था कि शिक्षा सचिव की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीय कमेटी में कई शिक्षकों और विभागीय अधिकारियों ने इन पुस्तकों का चयन किया है। इन पुस्तकों की खरीद जल्द से जल्द की जाए। वर्तमान में जारी पुस्तक खरीद प्रक्रिया पर उठे सवालों के चलते आए दिन पुस्तकों की खरीद को लेकर नए-नए खुलासे हो रहे हैं।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक