किसानों-बागवानों को अब बोतल में मिलेगी नैनो यूरिया खाद
हिमाचल प्रदेश में किसानों और बागवानों को अब तरल नैनो यूरिया खाद भी मिलेगी। अब खेतों और बगीचों में यूरिया की बोरी नहीं, बल्कि बोतल में भर कर तरल खाद पहुंचाई जाएगी। 40 किलो बोरी की जगह अब 500 एमएल यानी आधा लीटर तरल खाद बोतल में मिलेगी। जहां 40 किलो की बोरी एक एकड़ जमीन में इस्तेमाल होती है, वैसे ही एक बोतल नैनो यूरिया 215 लीटर पानी में मिलाकर भी एक एकड़ जमीन में डाली जाएगी। इससे फसल पैदावार तो बढ़ेगी ही, प्रदूषण से भी बचेंगे और मालभाड़ा भी सरकार और किसानों का कम होगा। एक माह के भीतर किसानों-बागवानों को तरल यूरिया खाद मिलनी भी शुरू हो जाएगी।
प्रदेश में हर साल करीब 42 हजार टन इफ्को यूरिया खाद की आपूर्ति करती है। इफ्को के क्षेत्रीय अधिकारी विशाल शर्मा ने बताया कि हिमाचल प्रदेश के कृषि और बागवानी विद्यालयो सहित फील्ड में नैनो यूरिया के कुल 312 सफल परीक्षण हो चुके हैं। इनके सुखद परिणाम भी सामने आए हैं। प्रदेश के किसानों और बागवानों को एक माह के भीतर नैनो यूरिया की आपूर्ति शुरू कर दी जाएगी। इस यूरिया से सात फीसदी अतिरिक्त फसल हासिल की जा सकती है।
55 फीसदी ज्यादा मिलेगी पौधों को खाद
बोरी की खाद सिर्फ 30 फीसदी ही पौधों को मिल पाती है, जबकि बोतल वाली यानी नैनो यूरिया 85 फीसदी तक पौधों को मिलती है। 45 किलो यूरिया एक एकड़ में डाली जाती है। वर्तमान में यूरिया विदेशों से भी आयात की जाती है। नैनो यूरिया का उपयोग करने से विदेशी यूरिया पर निर्भरता भी कम होगी।
सरकार पर नहीं पड़ेगा सब्सिडी का बोझ
40 किलो खाद की बोरी सरकार को 1100 रुपये में पड़ती है, जिसे बागवानों और किसानों को सब्सिडी पर मात्र 266.50 रुपये में दी जाती है। यानी सरकार का 833 रुपये का नुकसान होता है। आधा लीटर नैनो यूरिया सरकार को ही 240 रुपये में मिलेगी और किसानों-बागवानों से भी इतने ही रुपये लिए जाएंगे।