जून में प्रदेश के 90 फीसदी पर्यटन कारोबारी हो जाएंगे बैंक डिफाल्टर
कोरोना की दूसरी लहर के चलते जून में प्रदेश के 90 फीसदी पर्यटन कारोबारी बैंक डिफाल्टर हो जाएंगे। टूरिज्म इंडस्ट्री स्टेकहोल्डर्स एसोसिएशन का मानना है कि बीते 3 महीनों से पर्यटन कारोबारी बैंकों के ऋण की किस्तें और ब्याज नहीं चुका पाए हैं। इसके चलते जून में बैंक पर्यटन कारोबारियों को डिफाल्टर घोषित कर देंगे। पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों को भविष्य में कारोबार खड़ा करने के लिए बैंकों से ऋण भी नहीं मिले पाएगा।
एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहिंद्र सेठ ने कहा कि पर्यटन उद्योग को आर्थिक मदद न मिलने से जून में 90 फीसदी से अधिक बैंकों की ओर से लिए गए ऋणों का एनपीए होना तय है। पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों का सिबिल स्कोर खराब होने से भविष्य में उन्हें बैंकों से वित्तीय मदद नहीं मिलेगी। बीते 2 साल से पर्यटन उद्योग कोरोना की मार झेल रहा है। अब पर्यटन कारोबारियों के पास पैसा नहीं है। सरकार की वर्किंग कैपिटल लोन इंटरेस्ट सब्वेंशन स्कीम का पर्यटन कारोबारियों को कोई लाभ नहीं मिला है।
इस स्कीम में ऋण देने को बैंक तैयार नहीं हैं। इस योजना में सुधार के लिए पर्यटन विभाग ने कारोबारियों से 19 अप्रैल को निदेशक पर्यटन विभाग की अध्यक्षता में हुई वर्चुअल बैठक के दौरान सुझाव मांगे थे, लेकिन मई बीतने को है और अब तक इन सुझावों को स्वीकृति के लिए कैबिनेट के समक्ष भी नहीं रखा गया है। एसोसिएशन के ट्रेवल चैप्टर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनिल भारद्वाज ने कहा कि ट्रैवल एजेंटों ने टैक्सियां और बसें बैंकों से फाइनेंस करवा रखी हैं, लेकिन कमाई न होने से बैंकों का ऋण नहीं चुका पा रहे। यही हाल रेस्टोरेंट, एडवेंचर स्पोर्ट्स, फोटोग्राफर, घोड़ा संचालकों और टूरिस्ट गाइडों का है। केंद्र और प्रदेश सरकार को पर्यटन कारोबारियों की आर्थिक मदद करनी चाहिए।
वित्त मंत्रालय, रिजर्व बैंक से राहत की अपील करे सरकार : सेठ
एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहिंद्र सेठ ने सरकार से मांग की है कि कोरोना के कारण हिमाचल के पर्यटन कारोबार को हुए नुकसान से केंद्रीय वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक को अवगत करवा कर पर्यटन इकाइयों की ओर से लिए ऋणों को एनपीए घोषित न करने का आग्रह किया जाए। आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी के तहत ऋण योजना लाकर पर्यटन कारोबारियों को राहत दी जाए।