जिसे टिकट देनी है दे हम तो चुनाव लड़ेगे ही, टिकट की नहीं लोगों के समर्थन की जरूरत

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जिसे टिकट देनी है दे हम तो चुनाव लड़ेगे ही, टिकट की नहीं लोगों के समर्थन की जरूरत
जिसे टिकट देनी है दे हम तो चुनाव लड़ेगे ही, टिकट की नहीं लोगों के समर्थन की जरूरत

जिला परिषद, बीड़ीसी व वार्ड सदस्यों में निर्दलियों की जीत के बाद उनके समर्थक काफी खुश नजर आ रहे है। कल तक जिन नेताओं के पास चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार टिकट लेने के लिए हाजिरी भरते थे आज जीत के बाद वो उन नेताओं को खरी खोटी सुना रहे है। जितना नेताओं ने टिकट के लिए उन्हे तरसाया अब वो ही उन्हे जिला परिषद, बीड़ीसी में कब्जे के लिए उनके चक्कर लगवा रहें है। आज दोनों ही पार्टियों के नेता उन्हे अपना बता रहे है लेकिन अब वो सभी विजेता अपने आप को जनता का बता रहे है। व्यक्ति विशेष की पुजा न करने का संदेश ये अपने समर्थकों को भी देख रहे है।

ऐसा ही नजारा अब नगर निगम व नगर पंचायतों के होने वाले चुनावों की तैयारी कर रहे नेताओं में भी देखने को मिल रहा है। नेता अभी से कोशिश में लगे हुए है कि टिकट के चाहवान उनके दरबार में हाजिरी लगाए। लेकिन चुनाव लड़ने के बहुत से इच्छुक उम्मीदवार उनकी हाजिरी तो दूर उनकी शक्ल भी देखना पसंद नहीं कर रहे है। उनका साफ कहना है कि ये नेता अपनी पसंद के लोगों को तो जीता नहीं सके हमे क्या जिताएंगे। यही कारण है कि चुनाव लड़ने के इच्छुक लोग अभी से जनता के बीच संपर्क साधने में जुट गए है ताकि लोगों के समर्थन से जीत कर आए व नेताओं के भ्रम को तोड़ सके।

दोनों ही पार्टियों में अब निर्दलियों की जीत के बाद उन लोगों की पकड़ कमजोर जरूर हो गई जिन्होने अपने चहेतों को टिकट दिया व योग्य उम्मीदवार को नजरंदाज किया। लेकिन इससे पार्टियां कितना सबक लेती है ये तो आने वाले चुनावों में पता लगेगा लेकिन जिस तरह बाते छंटती हुई बाहर आ रही है उससे तो ऐसा लगता है नेताओं ने अभी भी सबक नहीं लिया है।

पिछले नगर परिषद के चुनावों मे कांग्रेस के 4 लोग जीते थे लेकिन इस बार भी वो इस आंकड़े को पार कर पाएंगे ये नजर नहीं आ रहा है। अगर भाजपा आपसी गुटबाजी को भूल कर आगे बड़ी तो न वो नगर निगम में कब्जा करने में सफल रहेगी बल्कि मिशन रिपिट होने से भी कोई नहीं रोक पाएगा।

लेकिन इतना जरूर है कि चुनाव लड़ने वाले अब चुनावी बिगुल बजा चुके है उन्हे पार्टी टिकट दे न दे लेकिन नेताओं से तौबा करना अब पार्टियों के कार्यकर्ता भी सीख चुके है।

बाकी तो सब चंगा जी…………  

 

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक