चंबा जिला में ग्रामीण विकास के परिदृश्य में अब एक और नया बदलाव देखने को मिलेगा। उपायुक्त विवेक भाटिया की पहल पर शुरू होने वाली इस कार्य योजना से जिला के ग्रामीण विकास को आने वाले कल में जो आयाम मिलने वाले हैं उनसे निश्चित तौर पर प्रदेश के भौगोलिक रूप में दूसरे सबसे बड़े जिला के समग्र ग्रामीण विकास की बदली हुई तस्वीर सामने आएगी। “प्रत्येक पंचायत, एक साल, चार काम” की अवधारणा पर जिस कार्य योजना का आगाज होने वाला है उसके तहत जिले की हरेक पंचायत में सामूहिक सामुदायिक उपयोग के 4 बड़े काम हर साल शुरू होंगे। कार्य योजना की खास बात यह है कि इसे जिला स्तर की व्यावहारिकता को मद्देनजर रखते हुए तैयार किया गया है। कार्य योजना में छोटे संपर्क मार्गों, खेल मैदानों, सामुदायिक भवनों, सामुदायिक पुस्तकालयों समेत कुछ अन्य काम शामिल किए गए हैं। पंचायतों में पहले शुरू किए जाने वाले कार्यों की प्राथमिकता और सूची तैयार की जाएगी। यानी पंचायत में लोगों की जरूरतों और अपेक्षाओं के अनुरूप इन कार्यों को अमलीजामा पहनाया जाएगा ताकि इन तमाम कार्यों का वहां के ग्रामीण पूरा लाभ उठा सकें।
गौरतलब है कि चंबा जिला में वर्तमान में 283 ग्राम पंचायतें हैं। इन पंचायतों के लिए 14वें वित्त आयोग के तहत 138 करोड़ रुपए का बजट मंजूर हुआ है। इस बजट में से 35 करोड़ से अधिक अभी खर्च नहीं हुए हैं। 14वें वित्त आयोग की शेष बची इस राशि को 2021 तक खर्च करने की मंजूरी मिल गई है। नतीजतन अब इस धनराशि का उपयोग इस कार्य योजना के तहत पंचायतों के सामुदायिक विकास पर होगा। उपायुक्त विवेक भाटिया ने बताया कि इस कार्य योजना के बेहतर कार्यान्वयन को सुनिश्चित बनाने के लिए जिला में संबंधित एसडीएम की अध्यक्षता में गठित कमेटी को जिम्मा दिया गया है। इस कमेटी में खंड विकास अधिकारी के अलावा कृषि, जल शक्ति, वन विभाग समेत कुछ अन्य विभागों के अधिकारी शामिल किए गए हैं। यह कमेटी नियमित आधार पर कार्य
मूल्यांकन और प्रगति की मॉनिटरिंग करेगी। मॉनिटरिंग के इस मैकेनिज्म को और प्रभावी व परिणामपरक बनाने के लिए बाकायदा एक पोर्टल भी तैयार किया जा रहा है ताकि जिला स्तर पर भी इसकी समीक्षा की जाती रहे। उपायुक्त स्वयं प्रत्येक 15 दिनों के बाद संबंधित कमेटी से फीडबैक लेंगे और विकास कार्यों की प्रगति की समीक्षा करेंगे। योजना के तहत 4 कार्यों में से एक कार्य को 3 माह में पूर्ण करने का लक्ष्य तय किया जाएगा ताकि प्रत्येक काम समयबद्ध तरीके से पूरा हो और उस क्षेत्र के ग्रामीण उसका उपयोग कर सकें। योजना में ये व्यवस्था भी की गई है कि यदि किसी व्यवहारिक वजह के चलते लक्षित कार्य तय अवधि में पूरा नहीं हो सकेगा तो इस सूरत में दूसरे कार्य को तुरंत शुरू किया जाएगा। लेकिन इसके साथ पहले वाले कार्य को भी जारी रखा जाएगा।
उपायुक्त ने यह भी कहा कि गुणवत्ता के पैमाने को और मजबूत बनाने के लिए कार्य की गुणवत्ता की जांच के लिए सोशल ऑडिट व्यवस्था भी रहेगी। सोशल ऑडिट कमेटी को प्रशासन द्वारा इस कार्य के लिए अधिकृत किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 14वें वित्त आयोग के अलावा मनरेगा के तहत भी चंबा जिला को करोड़ों रुपए का बजट हर साल प्राप्त होता है। जिला को प्राप्त बजट के सौ फ़ीसदी उपयोग पर फोकस रहेगा ताकि चंबा जिला के विकास के लिए प्राप्त धनराशि किसी भी सूरत में लैप्स ना हो सके और जिले के गावों सामुदायिक सुविधाओं के इस नए इंफ्रास्ट्रक्चर से लैस हों।
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