कोविड-19 के संकट में 50 लाख का बीमा कवर न मिलने से सहाकारी सभाओं में कार्यरत सभी सचिव सरकार के इस रवैये से काफी क्षुब्ध है और इनके द्वारा सरकार पर सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया है । इस बात का उल्लेख छबरोत सहाकारी सभा के सचिव बिशन दत ठाकुर, जोकि जिला स्तर की सहाकारी सभाओं में विभिन्न पदों पर कार्य कर चुके है, ने विशेष चर्चा के दौरान किेया गया । इनका कहना है कि सरकार द्वारा कोरोना संकट के दौरान आवश्यक सेवाएं देने वाले सभी अधिकारियों व कर्मचारियों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, आशावर्करज को 50 लाख के बीमा कवर के तहत लाया गया है परंतु सरकार द्वारा इस वर्ग को इस योजना से बाहर रखा गया है जबकि सहकारी सभाओं के सचिव भी अपनी जान को जोखिम में डालकर कोरोना योद्धाओं की तरह दिनरात काम करके सरकारी डिपूओं पर पीडीएस का राशन बांट रहे हैं ।ं इनका कहना है कि सरकार द्वारा सचिवों व सरकारी डिपूओं में कार्यरत अन्य कर्मचारियों को मास्क, दस्ताने, सेनिटाईजर इत्यादि कुछ भी उपलब्ध नहीं करवाए गए हैं ।
बिशन दत ठाकुर ने बताया कि सबसे अहम बात यह है कि सहकारी सभाओं में कार्य करते हुए सभी सचिव उम्रदराज होने लग गए है परंतु आज तक सचिवों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा तक भी नहीं दिया गया है जबकि सहकारी सभाएं चार विभागों के नियंत्रण में कार्य करती है । इनका कहना है कि सहकारी सभा के सचिव मंहगाई के इस दौर मंे बहुत कम मानदेय पर कार्य करते हैं और इस वर्ग को न्यूनतम वेतन भी नहीं मिलता है । इसके बावजूद भी सहाकरी सभाओं के सचिव कर्तव्यनिष्ठा के साथ बिना अपने दायित्व को निभा रहें है । सरकार के उदासीन रवैये के कारण अनेक सहकारी सभाएं बंद होने के कागार पर है जबकि हिमाचल को ही सहाकारी आन्दोलन का जन्मदाता माना जाता है ।
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