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25,26,27 का है शूलिनी मेला, 28 की सरकारी छुट्टी

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25,26,27 का है शूलिनी मेला, 28 की सरकारी छुट्टी
25,26,27 का है शूलिनी मेला, 28 की सरकारी छुट्टी

शूलिनी मेला इस बार 25,26 व 27 जून को होगा जबकि अगले दिन सरकारी छुट्टी होगी। जबकि 15 सितंबर को गुग्गा माड़ी मेले की छुट्टी होगी।

कोरोना काल में मेले का स्वरूप क्या होगा ये अभी कहना मुश्किल होगा। हो सकता है पिछली बात की तरह ही सूक्ष्म रूप में माता अपनी बहन से मिलने जाए। मंदिर के पुजारी व माता के कल्याने ही इस बार इस रस्म की आदायगी कर सकते है। लेकिन इसको लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है।

मां शूलिनी मेला लगभग 200 साल से मनाया जा रहा है। मां शूलिनी मंदिर के पुजारी पंडित राम स्वरूप शर्मा ने बताया कि यह मेला लगभग 200 साल से मनाया जा रहा है। इस मेले का इतिहास बघाट रियासत से जुड़ा हैं। सोलन का नाम मां शूलिनी के नाम पर ही पड़ा है। यह मेला हर साल जून माह में मनाया जाता है। इस दौरान मां शूलिनी शहर के भ्रमण पर निकलती हैं व वापसी में अपनी बहन के पास दो दिन के लिए ठहरती हैं। इसके बाद अपने मंदिर स्थान पर वापस पहुंचती हैं, इसलिए इस मेले का आयोजन किया जाता है।

माना जाता है कि माता शूलिनी सात बहनों में से एक थी। अन्य बहनें हिंगलाज देवी, जेठी ज्वाला जी, लुगासना देवी, नैना देवी और तारा देवी के नाम से विख्यात हैं। माता शूलिनी देवी के नाम से ही सोलन शहर का नामकरण हुआ था। सोलन नगर बघाट रियासत की राजधानी हुआ करती थी। इस रियासत की नींव राजा बिजली देव ने रखी थी। बारह घाटों से मिलकर बनने वाली बघाट रियासत का क्षेत्रफल 36 वर्ग मील में फैला हुआ था। इस रियासत की प्रारंभ में राजधानी जौणाजी, तदोपरांत कोटी और बाद में सोलन बनी। राजा दुर्गा सिंह इस रियासत के अंतिम शासक थे।

25,26,27 का है शूलिनी मेला, 28 की सरकारी छुट्टी
25,26,27 का है शूलिनी मेला, 28 की सरकारी छुट्टी

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक