12वीं बोर्ड: मुख्य विषयों की परीक्षा के लिए प्रस्ताव तैयार, कोरोना के चलते शामिल न होने वालों को बाद में मौका
छात्रों के भविष्य को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि परीक्षाएं रद्द नहीं होनी चाहिए। इसी के तहत सीबीएसई बोर्ड 12वीं कक्षा की परीक्षा रद्द करने की बजाय विभिन्न विकल्पों की तैयारी कर रहा है। रविवार को केंद्र और राज्यों की बैठक के लिए तीन प्रकार के प्रस्ताव भी विशेषज्ञों द्वारा तैयार किए गए हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में 12वीं बोर्ड परीक्षा के आधार पर ही उच्च शिक्षा और नौकरी में तवज्जो मिलती है। इसलिए पिछले साल की तर्ज पर 12वीं बोर्ड परीक्षा मुख्य विषयों यानी मेजर सब्जेक्ट की परीक्षा लेने पर विचार किया जाए। जबकि अन्य बचे विषयों का मूल्यांकन से मार्किंग के लिए कोई फार्मूला बनाने और जो छात्र कोविड-19 के चलते परीक्षा में शामिल नहीं हो पाएंगे, उन्हें अलग से मौका दिया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक, बेशक कुछ राज्य और छात्र समेत सामाजिक संगठन सोशल मीडिया पर परीक्षा रद्द करने को लेकर अभियान चलाए हुए हैं, लेकिन सीबीएसई बोर्ड का मानना है कि सभी छात्र परीक्षा रद्द नहीं कराना चाहते हैं। क्योंकि ऐसा होने से उन्हें ही जीवनभर परेशानी झेलनी पड़ेगी। सीबीएसई बोर्ड और राज्यों के प्रदेश शिक्षा बोर्ड के लिए एक ही फार्मूला तय होगा, ताकि किसी को फायदा और दूसरे को नुकसान न पहुंचे।
यह है प्रस्ताव:
-पहला प्रस्ताव या विकल्प मुख्य विषयों की परीक्षा करवाना है। एक छात्र 12वीं कक्षा में पांच या छह विषयों की पढ़ाई करता है। जबकि उसमें से चार मुख्य विषय होते हैं। बोर्ड ने 12वीं क्लास में 174 विषयों को रखा है। हालांकि इसमें से सिर्फ 20 ही मुख्य विषय हैं।
इनमें फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथमेटिक्स, बायोलॉजी, हिस्ट्री, पॉलिटिकल साइंस, बिजनेस स्टडीज, अकाउंटेंसी, जियोग्राफी, इकोनॉमिक्स और इंग्लिश आदि शामिल हैं। मुख्य विषयों की परीक्षा तय परीक्षा केंद्र या उनके स्कूल वाले भवनों में ही आयोजित करवाई जाएगी।
परीक्षा केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाएगी। साथ ही इन मुख्य विषयों में आने वाले अंक को आधार बनाकर अन्य विषयों के अंक दिए जाएंगे। इस विकल्प वाले प्रस्ताव में प्री-एग्जाम के लिए एक महीना, परीक्षा से लेकर रिजल्ट जारी करने में दो महीने और यदि किसी छात्र की कंपार्टमेंट आती है तो उसके लिए फिर 45 दिनों का समय चाहिए होगा।
इस पूरी प्रक्रिया में तीन महीने का समय लगेगा। इसके अलावा जिन जिलों में कोरोना हालात ठीक या संक्रमण दर कम है, वहां पहले चरण में परीक्षा करवाई जाएगी। बाकी अन्य जगह दूसरे चरण में परीक्षा आयोजित करवाई जा सकती है। इन दोनों चरणों के बीच 14 दिन का अंतराल होगा।
-दूसरे प्रस्ताव में यह है कि सभी विषयों की परीक्षा ली जाए। हालांकि परीक्षा समय 90 मिनट का हो। इसमें पेपर में वैकल्पिक और छोटे प्रश्न ही पूछे जाएं। यानी छात्र जल्दी से जल्दी परीक्षा देकर निकलें और इस विधि से उसे अधिक तनाव भी नहीं होगा। इसमें परीक्षा के लिए 45 दिनों के समय की जरूरत होगी।