10 के रिजल्ट में एक भी बच्चा नहीं हुआ पास, अभिभावकों ने की स्कूल स्टाफ बदलने की मांग

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जिला मंडी के एक स्कूल में पिछले तीन वर्षों से 10वीं का वार्षिक रिजल्ट लगभग ज़ीरो आ रहा है। मामला राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला नसलोह का है। यहाँ शैक्षणिक सत्र 2017-18 में स्कूल की 10वीं कक्षा का रिजल्ट ज़ीरो रहा। 2018-19 में मात्र 23 प्रतिशत बच्चे ही जैसे-तैसे पास हो सके। अब 2019-20 में एक बार फिर से स्कूल का रिजल्ट ज़ीरो रहा है। अब अभिभावकों ने यहां के सारे स्टाफ को बदलने की मांग उठाई है। इस बार दसवीं कक्षा में 23 बच्चे थे जिनमें से 16 पूरी तरह से फेल हैं और 7 को कम्पार्टमेंट आई है। सभी बच्चे मैथ में फेल हुए हैं और कम्पार्टमेंट भी इसी विषय में आई है। जो बच्चे पूरी तरह से फेल हुए हैं वह मैथ के अलावा अंग्रेजी, साईंस, सोशल साईंस, संस्कृत और ड्राईंग जैसे आसान विषयों में भी फेल हुए हैं।

वहीं 12वीं कक्षा में स्कूल में 6 बच्चे थे जिसमें से सिर्फ 2 ही पास हो पाए हैं जबकि 1 को कम्पार्टमेंट आई है और एक ने परीक्षा ही नहीं दी है। अभिभावक कृष्ण कुमार और लाल सिंह ठाकुर ने इसके लिए स्कूल प्रबंधन को पूरी तरह से जिम्मेवार ठहराया है। ऐसा भी नहीं कि स्कूल में अध्यापकों की कमी है। स्कूल में सिर्फ संस्कृत के अध्यापक का पद खाली है जबकि बाकी पद भरे हुए हैं। लेकिन स्कूल का वार्षिक रिजल्ट इस तरह से रहने पर अब स्टाफ पर ही सवाल उठना शुरू हो गए हैं। स्कूल प्रबंधन समिति के प्रधान भिंदर सिंह ने विभाग और सरकार से स्कूल का सारा स्टाफ बदलने की मांग उठाई है।

वहीं जब इस बारे में उच्च शिक्षा उपनिदेशिका वीना धीमान अत्री से बात की गई तो उन्होंने माना कि स्कूल में 10वीं का वार्षिक रिजल्ट ज़ीरो रहा है और 12वीं का रिजल्ट भी संतोषजनक नहीं है। उन्होंने बताया कि सारी डिटेल उच्चाधिकारियों को भेजी जाएगी और वहां से जो आदेश प्राप्त होंगे उसी आधार पर आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। सरकार और शिक्षा विभाग को इस विषय पर गहन मंथन करना होगा कि आखिर कहां पर कमी रह रही है। बच्चों को सही शिक्षा देने का दायित्व अध्यापक और अभिभावक दोनों का है।

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