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होली: रंगों में छिपा जीवन का संदेश” गुरुदेव श्री श्री रविशंकर

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होली केवल रंगों का त्योहार नहीं है, बल्कि यह जीवन की विविधता, उल्लास और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी है। होली का त्योहार हमें सिखाता है कि जीवन में हर भावना, हर परिस्थिति का स्वागत खुले मन से करें। यह पर्व प्रेम, सद्भाव, आनंद और आध्यात्मिक जागरण का एक दिव्य अवसर है, जो हमें जीवन को संपूर्णता से जीने की प्रेरणा देता है।

रंगों का गहरा अर्थ और जीवन का संदेश

रंग केवल दृश्य सौंदर्य ही नहीं, बल्कि भावनाओं के भी प्रतीक होते हैं। लाल रंग क्रोध का प्रतीक है, हरा ईर्ष्या का, पीला उल्लास का, गुलाबी प्रेम का, नीला विशालता का, सफेद शांति का, भगवा त्याग का और बैंगनी ज्ञान का। जब हम भीतर से स्थिर और संतुलित होते हैं, तो हम इन सभी रंगों को सहज रूप से स्वीकार कर सकते हैं और जीवन के हर रंग का आनंद ले सकते हैं।

होली और आध्यात्मिक जागरण
होली केवल बाहरी रंगों का उत्सव नहीं है, बल्कि यह आत्मा के भीतर छिपे रंगों को पहचानने और उन्हें अभिव्यक्त करने का पर्व भी है। यह त्यौहार हमें बताता है कि हमें अपने जीवन में अनावश्यक बंधनों और चिंताओं को छोड़कर हल्के और आनंदमय बनना चाहिए। होली एक नई शुरुआत का प्रतीक है, जहाँ हम पुराने दुखों और शिकायतों को जलाकर एक नए उल्लास और प्रेम से भरे जीवन का स्वागत करते हैं।
अतीत का दहन और नई ऊर्जा का संचार
होली अतीत के सभी बंधनों, दर्द और नकारात्मकताओं को जलाने का अवसर है। जब हम पुराने दर्द और बोझों को छोड़ देते हैं, तब जीवन में एक नई ऊर्जा और उल्लास का संचार होता है। यह हमें जीवन को नए दृष्टिकोण से देखने और नयी संभावनाओं के लिए अपने हृदय और मन को खोलने का अवसर देता है।

 

होली की पौराणिक कथा और उसका महत्त्व

होली की कथा अच्छाई की बुराई पर विजय की प्रतीक है। हिरण्यकश्यप एक अहंकारी राजा था, जो चाहता था कि हर कोई उसकी पूजा करे। लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान नारायण का भक्त था। हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठे, क्योंकि उसे आग में न जलने का वरदान था। लेकिन सत्य और भक्ति के बल पर प्रह्लाद सुरक्षित बच गया और होलिका जलकर भस्म हो गई। यह हमें यह सिखाती है कि सच्ची आस्था, निष्ठा और मासूमियत किसी भी कठिनाई को पार कर सकती है।

विविधता में एकता और जीवन का सौंदर्य

होली में विभिन्न रंग मिलकर सौंदर्य और उल्लास उत्पन्न करते हैं, वैसे ही हमें भी जीवन में विभिन्नता को अपनाना चाहिए। यदि सभी रंग एक साथ मिल जाएँ, तो वे काले हो जाते हैं। इसी प्रकार, जब हम जीवन में अपनी भूमिकाओं को स्पष्ट रूप से नहीं समझते, तो भावनात्मक असंतुलन उत्पन्न होता है।
ध्यान: जीवन को संतुलित और आनंदमय बनाने की कला
जीवन में सच्चा आनंद तब आता है जब हम अपने भीतर गहराई से उतरते हैं और अनावश्यक चिंताओं को छोड़ देते हैं। ध्यान केवल एक साधना नहीं, बल्कि “कुछ भी न करने की कला” है। ध्यान के माध्यम से हमें गहरे स्तर पर विश्राम प्राप्त होता है, जो हमें सभी इच्छाओं से परे ले जाता है और हमारे मन को स्थिरता और शांति प्रदान करता है।

होली केवल एक पर्व नहीं, बल्कि जीवन के गहरे अर्थ को समझने का एक सुनहरा अवसर है। यह हमें सिखाती है कि जीवन में हर भावना का अपना महत्त्व है, और हमें उन्हें खुले हृदय से अपनाना चाहिए। जब हम प्रेम, ध्यान और भक्ति के माध्यम से अपने जीवन को संपूर्णता के साथ जीते हैं, तो जीवन अपने आप एक उत्सव बन जाता है। आत्मा जब आनंदित होती है, तो जीवन में रंग और उल्लास स्वयं ही प्रकट होते हैं। इस होली पर, हम सभी अपने भीतर प्रेम, आनंद और सद्भाव के रंग भरें और जीवन को एक सच्चे उत्सव के रूप में मनाएँ।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक