हिमालयन राज्यों में विकास व पर्यटन के लिए अलग से बनाई जाए डव्लमेंट नीति : गुमान सिंह
पिछले कुछ सालों से हिमालय पर्वत श्रृंखला के तहत आने आने वाले राज्यों में आपदा से हो रहे नुकसान से बचाव के लिए हिमालयन नीति अभियान ने अगल से विकास नीति बनाने की मांग उठाई है। मंडी के साक्षरता भवन में संपन्न हुए दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान हिमालयन नीति अभियान ने यह मांग उठाई है। दो दिवसीय इस सम्मेलन में प्रदेश के 15 के करीब जन संगठनों ने भाग लिया और आपदा से हिमाचल और हिमालयन रेंज में हो रहे नुकसान पर गहरी चिंता जताई।
इस मौके पर मीडिया से रूबरू होते हुए हिमालयन नीति अभियान के संयोजक गुमान सिंह ने कहा कि हिमायली राज्यों में पर्यटन और अन्य विकसात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए सरकारों द्वार तोड़ फोड़ मॉडल अपनाया जा रहा है। जो कि हिमालयी राज्यों के भविषय के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है। आज सरकारों की इस नीति का खामियाजा उत्तराखंड के लोगों को भुगतना पड़ रहा है और वह दिन दूर नहीं जब हिमाचल में भी उत्तराखंड जैसे हालात होंगे। हिमालयन नीति अभियान सरकार से यही मांग करती है कि यहां के विकास के लिए क्लीन, ग्रीन डेवलपमेंट मॉडल तैयार करें ताकि आने वाले समय में देश को पानी और शुद्ध हवा मिल सके।
वहीं इस मौके पर गुमान सिंह धारा 118 में बार बार हो रहे बदलाव से प्रदेश की सरकारों से नाखुश नजर आए। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि यहां कि सरकारें टूरिज्म के बड़े-बड़े प्रोजेक्ट के सपने दिखाकर बाहरी लोगों को हिमाचल की जमीनों को बेचने और यहां की प्राकृतिक सुंदरता को बर्वाद करने में लगे हुए हैं। जबकि सरकारों को स्थानीय स्तर पर पर्यटन को विकसित करने के छोटे-छोटे मॉडल तैयार चाहिए, जिससे यहां के लोगों को उससे सीधे तौर पर रोजगार मिल सके। गुमान सिंह ने प्रदेश की सुक्खू सरकार से धारा 118 में बार-बार बदलाव न करने की गुहार लगाते हुए प्रदेश में अब और हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट न लगाने की भी अपील की है।
![]()
