हिमाचल प्रदेश के राज्यसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों पर सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इस कड़ी में शिमला पुलिस ने कांग्रेस के बागी व गगरेट के निष्कासित विधायक चैतन्य शर्मा के पिता और हमीरपुर से निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इन दोनों के विरुद्ध शिमला के बालूगंज पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज हुई है।
एफआईआर में इसके अलावा अन्य अज्ञात लोगों को भी नामजद किया गया है। आरोपितों के खिलाफ विभिन्न आपराधिक धाराएं लगाई गई हैं। कांग्रेस के दो विधायकों संजय अवस्थी और भुवनेश्व गौड़ की शिकायत पर पुलिस ने यह एक्शन लिया है। शिकायतकर्ता द्वारा दर्ज एफआईआर के मुताबिक बागी विधायक के पिता और निर्दलीय विधायक पर राज्यसभा चुनाव में वोटों की खरीद-फरोख्त करने, रिश्वत व पैसों के लेन-देन का आरोप लगा है। इन पर राज्यसभा चुनाव को गलत तरीके से प्रभावित करने का भी आरोप है। शिकायतकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया है कि आरोपितों ने सरकार गिराने के लिए षड्यंत्र रचा। शिकायतकर्ताओं ने इनके बैंक खातों की जांच करवाने की भी मांग की है। गगरेट के निष्कासित विधायक चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा उत्तराखंड में मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं।
पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक एफआईआर में 171 ए और 171सी, 120 बी और भ्र्ष्टाचार निवारण अधिनियम के सेक्शन 7 व 8 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है। भ्र्ष्टाचार निवारण अधिनियम लगने से नामजद लोगों की परेशानी बढ़ेगी, क्योंकि पीसी एक्ट में जमानत का प्रावधान नहीं है। माना जा रहा है कि जांच आगे बढ़ने पर एफआईआर में क्रॉस वोटिंग करने वाले अन्य विधायकों की भी मुश्किलें बढ़ सकती है। शिमला के एसपी संजीव गांधी ने बालूगंज थाने में एफआईआर दर्ज करने की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि मामले में जांच की जा रही है।
बता दें कि हिमाचल में राज्यसभा चुनाव 27 फरवरी को हुआ था। उस दौरान उक्त नौ विधायकों की क्रॉस वोटिंग की वजह से यह सीट भाजपा के खाते में चली गई। भाजपा के उम्मीदवार हर्ष महाजन ने कांग्रेस के दिग्गज नेता अभिषेक मनु सिंघवी को पराजित किया। दरअसल क्रॉस वोटिंग के बाद भी दोनों दलों के उम्मीदवारों को 34-34 वोट मिले थे, जिसके बाद पर्ची के जरिए विजेता उम्मीदवार का फैसला हुआ था।
राज्यसभा चुनाव के अगले दिन हिमाचल विधानसभा में बजट पारित होने के दौरान कांग्रेस के उक्त छह विधायक नदारद रहे। इस पर विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने इन्हें अयोग्य ठहराने के आदेश जारी किए हैं। इस निर्णय के खिलाफ कांग्रेस के बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
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