हिमाचल के सबसे बड़े अस्‍पताल में 50 यूनिट रक्त ही शेष, हर रोज रहती है 40 यूनिट की जरूरत, पढ़ें खबर

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 इंदिरा गांधी मेडिकल काॅलेज एवं अस्पताल (आइजीएमसी) शिमला के ब्लड बैंक में खून लगभग समाप्त होने से खरीद-फरोख्त का खतरा पैदा हो गया है। इससे रक्त संचारित खतरनाक रोग फैल सकते हैं। इस हालात में सुधार के लिए उमंग फाउंडेशन हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करेगी। उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव व ट्रस्टी विनोद योगाचार्य ने कहा कि 1500 यूनिट रक्त संग्रह की क्षमता वाले ब्लड बैंक में सिर्फ 50 यूनिट रक्त उपलब्ध है और रोज करीब 40 यूनिट रक्त की खपत है। तीमारदार खून के लिए दर-दर भटक रहे हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक कोई प्रयास नहीं किया है।

आइजीएमसी शिमला के ब्लड बैंक में खून लगभग समाप्त होने से खरीद-फरोख्त का खतरा पैदा हो गया है।

कोरोना संकट के दौर में उमंग फाउंडेशन व अन्य संस्थाएं खून जुटाने के लिए दिन -रात  प्रयास कर रही हैं। अकेले उमंग फाउंडेशन ने पिछले साल कर्फ्यू लगने के बाद से अब तक 17 रक्तदान शिविर लगाए हैं। आजकल रक्त विभिन्न बीमारियों से पीडि़त मरीजों को चढ़ाया जा रहा है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग, राज्य ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल, एड्स कंट्रोल सोसायटी और ब्लड बैंक कोई प्रयास नहीं कर रहे।

 

प्रो. अजय श्रीवास्तव ने कहा कि ब्लड बैंकों की व्यवस्था के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित राज्य ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल भंग पड़ी है। पांच साल से इसकी बैठक नहीं हुई है। एड्स कंट्रोल सोसायटी दावा करती है कि वह ब्लड बैंकों की व्यवस्था का जिम्मा संभालती है, लेकिन ब्लड बैंकों में हर प्रकार की अव्यवस्था के बावजूद इस सोसाइटी ने कोई कदम नहीं उठाया।

उन्होंने कहा कि ब्लड बैंक के अधिकारी दूरदरज से आए मरीजों को खून खुद जुटाने के लिए कहते हैं। उमंग फाउंडेशन एवं अन्य रक्तदाता संस्थाएं खून दान के शिविर लगाती हैं और जनता से रक्तदान की अपील करती है, लेकिन ब्लड बैंक के अधिकारी बयान देते हैं कि रक्त की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री से भेंट कर 29 जनवरी को एक विस्तृत ज्ञापन देकर ब्लड बैंकिंग व्यवस्था में सुधार की मांग कर चुके हैं। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग ने कोई कदम नहीं उठाया।

 

 

 

 

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक