हिमाचल की बेटी रीना कुमारी का नीदरलैंड के मास्ट्रिख्ट विश्वविद्यालय में PhD हेतु चयन
राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय बिलासपुर की मेधावी छात्रा रीना कुमारी ने अपनी प्रतिभा और अथक मेहनत से प्रदेश का नाम रोशन किया है। मंडी जिले के करसोग उपमंडल के दमेहल गांव की रहने वाली रीना कुमारी का चयन नीदरलैंड के प्रतिष्ठित मास्ट्रिख्ट विश्वविद्यालय में पीएचडी के लिए हुआ है। यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार और गुरुजनों के लिए गर्व का विषय है, बल्कि समूचे हिमाचल प्रदेश के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है।
रीना कुमारी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सैंज-बगरा से प्राप्त की। विज्ञान विषय की सुविधा न होने के कारण उन्होंने आगे की पढ़ाई राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सेरी बंगला से पूरी की। इसके बाद बीएससी की पढ़ाई उन्होंने राजकीय महाविद्यालय करसोग से की और फिर एमएससी भौतिकी में प्रवेश लेकर राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय बिलासपुर से स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की। इसी दौरान उनकी गहरी रुचि कम्प्यूटेशनल मैटीरियल साइंस के क्षेत्र में विकसित हुई।
एमएससी में अपने शोध प्रबंध के दौरान उन्होंने ग्राफुलरीन एवं हाईड्रोजनेटेड ग्राफुलरीन की संरचनात्मक और इलेक्ट्रॉनिक विशेषताओं का डैंसिटी फंक्शनल थ्योरी के माध्यम से सैद्धांतिक अध्ययन किया। रीना ने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कार्यशालाओं व सम्मेलनों में भी सक्रिय भागीदारी निभाई। उन्होंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ पंजाब की कार्यशाला ‘थ्योरी एंड एप्लीकेशन ऑफ इन-सिलिको एप्रोच फॉर मैटीरियल मॉडलिंग’ में हिस्सा लिया और भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर, मुंबई में आयोजित 68वीं डीएई सॉलिड स्टेट फिजिक्स संगोष्ठी में अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया।
उनका शोध कार्य एक्सप्लोरेशन ऑफ हाईड्रोजन डैकोरेटिड टू डिमैंशनल ग्राफलेंरेंस फर्स्ट प्रिंसीपल इन्वेस्टिगेशन एआईपी कॉन्फ्रेंस प्रोसीडिंग में प्रकाशन हेतु स्वीकार किया गया। एमएससी पूरी करने के बाद उन्होंने प्रो. डॉ. अरुण कुमार के मार्गदर्शन में हाइड्रोजन भंडारण विषय पर शोध जारी रखा और साथ ही अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों में आवेदन प्रक्रिया भी शुरू की।
उनकी मेहनत, शोध क्षमता और उत्कृष्ट प्रदर्शन को देखते हुए नीदरलैंड के मास्ट्रिख्ट विश्वविद्यालय ने उन्हें पीएचडी कार्यक्रम के लिए चयनित किया। रीना कुमारी का कहना है कि डॉ. अरुण कुमार के मार्गदर्शन, सहयोग और निरंतर समर्थन से ही वह इस मुकाम तक पहुंच सकी हैं। साथ ही उन्होंने अपने माता-पिता का आभार जताया जिन्होंने हर परिस्थिति में उनका साथ दिया।
प्रो. डॉ. अरुण कुमार ने कहा कि यह उपलब्धि उनके लिए भी गर्व का विषय है। उन्होंने बताया कि रीना ने अपनी लगन और समर्पण से यह मुकाम हासिल किया है और भविष्य में भी वह बड़े शोध कार्यों से देश का नाम रोशन करेंगी। रीना की सफलता प्रदेश की बेटियों के लिए प्रेरणा है कि कठिनाइयों के बावजूद मेहनत और लगन से अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचा जा सकता है।