
छठे नवरात्र पर राजस्थान के नीमराना उपखंड क्षेत्र के घिलोट गांव से 21 श्रद्धालुओं का जत्था हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में स्थित माता ज्वाला के दरबार में पहुंचा। जत्थे के प्रमुख कृष्ण भगत ने अखंड ज्योति दोनों हाथों, कंधों और सिर पर धारण कर माता के दरबार में पहुंचकर बाकी श्रद्धालुओं का ध्यान अपनी ओर खींचा। कृष्ण भगत ने बताया कि 17 साल पहले माता ज्वाला ने उन्हें स्वप्न में दर्शन दिए थे। उसी आशीर्वाद और मुराद को पूर्ण करने के लिए वे अखंड ज्योति के साथ मां ज्वाला के दरबार पहुंचे है।उनके अनुसार मां ज्वाला सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं और सच्चे श्रद्धालु को दर्शन भी देती हैं। उनका यह अलौकिक रूप देखकर श्रद्धालु अचंभित रह गए। मंदिर परिसर माता के जयकारों और भजनों से गूंज उठा। उन्होंने कहा कि जत्था ज्वालामुखी के बाद चिंतपूर्णी माता, कांगड़ा नगरकोट माता, जम्मू-कश्मीर के वैष्णो देवी धाम कटड़ा, शिव खोड़ी धाम और हरिद्वार नीलकंठ होते हुए वापस घिलोट धाम जाएगा। श्रद्धालुओं के जत्थे में नीमराना के पूर्व सरपंच सतीश रामविलास पंडित, सतीश बड़सीवाल, हितेश, प्रिंस, राम, शिवा, देविका, वैष्णो, कविता, रीना, कृपा सहित अनेक भक्त मौजूद रहे।
ज्वाला माता का चमत्कारिक दरबार
ज्वाला माता का मंदिर विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक है। यहां धरती से निकलने वाली अग्नि ज्योतियां अनंत काल से प्रज्वलित हैं। मान्यता है कि माता भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं और सच्चे श्रद्धालु को स्वयं बुलाकर दर्शन देती हैं। इतिहास के अनुसार, बादशाह अकबर ने माता को सोने का छत्र चढ़ाया, जो अहंकार के कारण अष्टधातु का हो गया। नवरात्रों में लाखों श्रद्धालु माता के दर्शन और भंडारे के लिए यहां पहुंचते हैं।
तीनों शक्तिपीठों में 32,200 श्रद्धालुओं ने किए दर्शन
शरदीय नवरात्र के छठे दिन रविवार को कांगड़ा जिले के प्रमुख शक्तिपीठों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई। चामुंडा, ज्वालामुखी और बज्रेश्वरी माता मंदिर में कुल 32,200 से अधिक श्रद्धालुओं ने शीश नवाया। ज्वालामुखी में सबसे अधिक 20,000 श्रद्धालु पहुंचे।बज्रेश्वरी माता मंदिर में लगभग 6,200 भक्तों ने दर्शन किए और छठे नवरात्र पर 2,59,710 रुपये का चढ़ावा अर्पित किया। मंदिर अधिकारी अशोक पठानिया ने बताया कि सप्तमी पर श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने के चलते अष्टमी पर मंदिर के कपाट सुबह 3 बजे खोल दिए जाएंगे।
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