हताश होकर कोरोना और आस्था के घालमेल पर उतर आए अग्निहोत्रीः स्वास्थ्य मंत्री राजीव सैजल
शिमला :- स्वास्थ्य मंत्री राजीव सैजल ने कहा है कि नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री राजनीतिक मर्यादाओं का तार-तार करते हुए अब कोरोना संकट और धार्मिक आस्था का घालमेल करने पर उतर आए हैं। सैजल ने कहा कि मुकेश अग्निहोत्री को जब सरकार को घेरने के लिए कोई मुद्दा नहीं मिल रहा तो वह बदतमीज़ी पर उतर आए हैं।
हाल ही में मुकेश अग्निहोत्री ने एक जनसभा को अमर्यादित ढंग से संबोधित करते हुए कहा था कि ‘जयराम ऐसा शासक है जिसने चिंतपूर्णी मंदिर के द्वार 154 दिन बंद रखे।’ स्वास्थ्य मंत्री सैजल ने कहा कि मुकेश अग्निहोत्री भूल गए कि जब पूरी दुनिया अभूतपूर्व कोरोना संकट से जूझ रही थी, तब हिमाचल ही नहीं, पूरी दुनिया में सभी छोटे-बड़े संस्थानों समेत आस्था के केन्द्रों और धार्मिक प्रतिष्ठानों को श्रद्धालुओं के लिए बंद रखना पड़ा था। यह परिस्थितियों की मांग थी और संक्रमण रोकने के लिए ऐसा किया गया था। लेकिन इस मुद्दे का राजनीतिकरण करके मुकेश अग्निहोत्री ने दिखा दिया कि वह राजनीतिक लाभ लेने के लिए किस हद तक गिर सकते हैं।
कसौली से भाजपा विधायक सैजल ने कहा कि यह बयान राजनीतिक अपरिपक्वता नहीं बल्कि ओछी शरारत है। अग्निहोत्री कोरोना काल की बंदिशों और लोगों की आस्था का घालमेल करके जनता को गुमराह करने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं। सैजल ने कहा, “जब पूरा प्रदेश कोरोना से लड़ रहा था, तब भी अग्निहोत्री और उनकी पार्टी लोगों को गुमराह करने और डराने में ही जुटी हुई थी। पहले इन्होंने लॉकडाउन के कारण बाहर फंसे हिमाचलियों को घर लाने का विरोध किया, फिर वैक्सीनेशन का विरोध किया और अब लोगों की जान बचाने के लिए लगाई गई बंदिशों पर राजनीतिक लाभ के लिए सवाल उठा रहे हैं।”
‘आपत्तिजनक भाषा हिमाचल की संस्कृति नहीं’
प्रदेश सरकार में मंत्री सैजल ने मुकेश अग्निहोत्री की भाषा पर भी कड़ा ऐतराज़ जताया और कहा कि वह मीडिया और जनता के सामने तमीज़ से पेश आना सीखें। उन्होंने कहा कि हिमाचल के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है जब किसी राजनेता ने मर्यादाओं को ताक पर रख दिया है। राजीव सैजल ने कहा, “अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को गाली देना मुकेश अग्निहोत्री की आदत रही है और सोशल मीडिया पर इसके वीडियो भी मौजूद हैं। और तो और, मंडी में उन्होंने लोगों को पीएम और सीएम को गाली देने के लिए उकसा दिया। यह दिखाता है कि उनका स्तर क्या है। अब वह हताश होकर अपने भाषणों में और मीडिया से बात करते समय मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के प्रति तू-तड़ाक की भाषा इस्तेमाल करते हैं। इससे पता चलता है कि बौखलाहट में वह बुनियादी तहजीब तक भूल गए हैं।