हंसते-खेलते परिवारों पर कहर बनकर टूटा कोरोना

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वैश्विक महामारी कोरोना कई हंसते खेलते परिवारों पर कहर बनकर टूटी है। कोरोना ने किसी का पिता छीन लिया तो किसी का बेटा। कई बच्चों के सिर से माता-पिता दोनों का साया उठ गया। कहीं तो एक ही परिवार में कुछ दिन के अंतराल में दो-दो लोगों की जान चली गई। ऐसे में परिवार के शेष सदस्यों के पालन पोषण की समस्या इस समय सबसे बड़े चुनौती बनकर सामने आ रही है। कहीं बच्चों की पढ़ाई जारी रखने में परेशानी आ रही है तो कहीं पेट पालने की।

हंसते-खेलते परिवारों पर कहर बनकर टूटा कोरोना

निर्मला देवी के हंसते-खेलते परिवार को लगी नजर, खो दिए दो बेटे

कोरोना ने पांवटा साहिब में किराये के मकान में रह रहे हंसते-खेलते निर्मला देवी के परिवार की खुशियां छीन लीं। निर्मला ने अपने दो जवान बेटे खो दिए। बड़ा बेटा यशपाल शर्मा (57) बीते साल कोरोना की चपेट में आया था। उसकी सराहां कोविड सेंटर में पहुंचते ही मौत हो गई गई थी। दूसरे बेटे पवन शर्मा (55) की 10 मई को मौत हो गई। यशपाल एक सीमेंट उद्योग में काम करते थे। पवन शर्मा पांवटा साहिब में दुकान चलाते थे। बेड़े बेटे के जाने के बाद छोटे का सहारा था, लेकिन अब वह भी नहीं रहा। दो साल पहले किसी बीमारी से पवन शर्मा की पत्नी का भी देहांत हो गया था।

पिता की मौत के बाद  पढ़ाई छोड़ वाटर गार्ड बना बेटा


कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में ऊना जिले की चताड़ा पंचायत के प्रमोद कुमार का भी निधन हो गया। ऐसे में परिवार के सामने अब रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण करने वाले प्रमोद कुमार (42) अपने पीछे 18 वर्षीय बेटा महेश और पत्नी सोनिया देवी को छोड़ गया है। कोरोना संकट के बीच अब मां-बेटे दोनों ही परेशान हैं। बेटा रोजी-रोटी चलाने के लिए पढ़ाई छोड़कर वाटर गार्ड का कार्य कर रहा है। प्रमोद की मौत से परिवार पूरी तरह से टूट गया है। वर्तमान में जैसे-तैसे रोजी रोटी का इंतजाम हो रहा है। 12वीं कर चुके महेश कुमार आगे पढ़ाई जारी रखना चाहते हैं, लेकिन उच्च शिक्षा के लिए रुपये के अभाव में उसका भविष्य में भी अधर में लटकता नजर आ रहा है। महेश ने कहा कि पिता के निधन के बाद अब वह पढ़ाई सहित अन्य खर्च उठाने पर असमर्थ है। बता दें कि 42 वर्षीय प्रमोद कुमार ने बीते 29 अप्रैल को लक्षण दिखने पर कोविड टेस्ट करवाया था। इसमें संक्रमित पाया गया था, लेकिन चंद घंटों में ही उसकी मौत हो गई थी।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक