साउथ सिनेमा के सुपरस्टार रजनीकांत को 51वां दादा साहब फाल्के पुरस्कार देने की घोषणा हुई है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुरुवार को एलान किया है। प्रकाश जावड़ेकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- ‘आज इस साल का दादा साहब फाल्के अवॉर्ड महान नायक रजनीकांत को घोषित करते हुए हमें बहुत खुशी है। रजनीकांत बीते 5 दशक से सिनेमा पर राज कर रहे हैं। इस साल ये सिलेक्शन ज्यूरी ने किया है। इस ज्यूरी में आशा भोंसले, मोहनलाल, विश्वजीत चटर्जी, शंकर महादेवन और सुभाष घई जैसे कलाकार शामिल रहे हैं। 2 दिसंबर 1950 को कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में जन्मे रजनीकांत साउथ हो या हिंदी सिनेमा जहां भी आए, वहां पर छाए।
गरीब परिवार में जन्मे रजनीकांत ने अपनी मेहनत और कड़े संघर्ष की बदौलत टॉलीवुड में ही नहीं बॉलीवुड में भी काफी नाम कमाया। साउथ में तो रजनीकांत को थलाइवा और भगवान कहा जाता है। रजनीकांत का असली नाम शिवाजी राव गायकवाड़ है। उनके पिता रामोजी राव गायकवाड़ एक हवलदार थे, घर की माली हालत ठीक नहीं थी। मां जीजाबाई की मौत के बाद चार भाई-बहनों में सबसे छोटे रजनीकांत ने परिवार को सहारा देने के लिए ‘कुली’ का भी काम किया और इसके बाद वो बेंगलुरू ट्रांसपोर्ट सर्विसेज में कंडक्टर बन गए थे।
लेकिन ये काम उन्हें रास नहीं आया और इसलिए उन्होंने 1973 में मद्रास फिल्म संस्थान में दाखिला लिया और अभिनय में डिप्लोमा लिया। रजनीकांत की मुलाकात एक नाटक के मंचन के दौरान फिल्म निर्देशक के. बालाचंदर से हुई और यहीं से उनकी लाइफ ने अनोखा मोड़ लिया।
रजनीकांत ने 25 साल की उम्र में अपने फिल्मी करियर की शुरूआत की। उनकी पहली तमिल फिल्म ‘अपूर्वा रागनगाल’ थी। इस फिल्म में उनके साथ कमल हासन और श्रीविद्या भी थीं। 1975 से 1977 के बीच उन्होंने ज्यादातर फिल्मों में कमल हासन के साथ विलेन की भूमिका ही की। लीड रोल में उनकी पहली तमिल फिल्म 1978 में ‘भैरवी’ आई। ये फिल्म काफी हिट रही और रजनीकांत स्टार बन गए। रजनी की हिंदी फिल्में कम ही आई जिसमें अंधा कानून , हम, चालबाज और फूल बने अंगारे काफी चर्चित रहीं। लोग उनकी फिल्मों का बेसब्री से इंतजार करते है। उनका सिगरेट पीने का ढंग, कॉलर उठाकर दुश्मनों को पीटना आज भी किसी को रोमांचित कर जाता है।
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