सियासी जायका बढ़ाने के ही काम आया द्रंग का सेंधा नामक
देश की चुनिंदा चट्टानी नमक की पहाड़ियों में शुमार मंडी के द्रंग का सेंधा नमक केवल सियासी जायका बढ़ाने के काम ही आया है। प्राकृतिक संसाधनों का फायदा आम लोगों को पहुंचाने में भाजपा और कांग्रेस दोनों नाकाम रही हैं। हिंदुस्तान सॉल्ट माइन में 300 करोड़ से लगने वाली सॉल्ट रिफाइनरी से देश को पर्याप्त मात्रा में सेंधा नमक मिल सकता है। इससे पाकिस्तान पर निर्भरता खत्म होगी। इसका काम लटकने से स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी नहीं मिले। एशिया में पाकिस्तान और नेपाल में ही चट्टानी नमक निकल रहा है। यह मवेशियों और औषधि के काम आता है। यहां लगने वाली रिफाइनरी से इस नमक को खाने लायक बनाने का प्रस्ताव था।
दो हजार लोगों को मिलना था रोजगार
यूपीए सरकार के दौरान नमक खान के नवीनीकरण को लेकर तीन सौ करोड़ का प्रोजेक्ट मंजूर हुआ था। हिंदोस्तान सॉल्ट लिमिटेड ने 116 मिलियन टन नमक उपलब्ध होने का अनुमान लगाया था। इसी आधार पर तीन सौ करोड़ से नमक आधारित सैल्युशन माइनिंग प्रोजेक्ट (नमक रिफाइनरी उद्योग) लगाकर देशभर में नमक की आपूर्ति की योजना थी। इससे दो हजार बेरोजगार लोगों को प्रत्यक्ष तौर पर रोजगार देने सहित पूरे क्षेत्र की इकोनोमी पर असर पड़ना था।
द्रंग और गुम्मा की नमक खदान से मई 1963 में चट्टानी नमक का उत्पादन शुरू हुआ था। तकनीक के अभाव में हिंदुस्तान सॉल्ट लिमिटेड नमक का पूरी तरह दोहन नहीं कर पाई। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से गैर वन स्वीकृति व रॉयल्टी जमा न करवाने की वजह से 15 जनवरी, 2011 को नमक का उत्पादन बंद हो गया। 2016 में स्व. सांसद राम स्वरूप शर्मा ने केंद्र से 3 करोड़ का पैकेज दिलाकर पूर्व स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह के साथ यहां रिबन काट कर खदान कार्य का शुभारंभ किया था। सरकार ने नमक रिफाइनरी के लिए कंपनी को 65 बीघा भूमि भी मंडी के समीप मैगल में लीज पर उपलब्ध करवाई थी। नमक निकालने के लिए 35 मीटर लंबी सुरंग बनाई गई। सत्ता पलटने के बाद सांसद ने विधायक जवाहर ठाकुर एवं जोगिंद्रनगर के विधायक प्रकाश राणा की मौजूदगी में फिर नमक खान का उद्घाटन किया। यही नहीं, एक साल के अंतराल बाद सांसद ने खान से निकलने वाले नमकीन पानी का नल लगवाकर उसका उद्घाटन भी किया।



