कसुम्पटी निर्वाचन क्षेत्र की ग्राम पंचायत सतोग के गरपेंया में विश्व बैंक की एकीकृत विकास परियोजना के तहत निर्मित की जा रही सिंचाई योजना के निर्माण पर किसानों ने विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं।
योजना के लाभार्थियों का आरोप है कि परियोजना के तहत वन विभाग द्वारा गरपेंया नाला पर पानी के भंडारण हेतु चेक डैम में घटिया सामग्री का इस्तेमाल हुआ है। इस डैम की हालत यह है कि इसमें पानी एकत्रित नहीं होता, बल्कि पानी का रिसाव भूमि में हो जाता है। इसी प्रकार किसानों द्वारा वन विभाग से इस सिंचाई योजना में तीन इंच का पाइप लगाने की मांग की गई थी जिसके एवज में विभाग द्वारा केवल डेढ़ इंच की पाइप दी गई जिसे लाभार्थियों द्वारा विभाग को वापिस भेज दिया है।
बता दें कि प्रदेश में विश्व बैंक की सहायता से एकीकृत विकास परियोजना कार्यान्वित की जा रही है, जिसका संचालन वन विभाग के माध्यम से किया जा रहा है। ईश्वरी जल उपयोगिता समूह गरपेंया के प्रधान ओम प्रकाश शर्मा, सचिव मनोज कुमार, सदस्य ईश्वर लाल, राकेश, मोहनलाल, अजय शर्मा, रामलाल, राकेश-2, हरिचंद शर्मा सहित अनेक किसानों ने बताया कि गरपेंया खडड में 12 महीने पानी उपलब्ध रहता है। बरसात में यह पानी 6-7 इंच हो जाता है जबकि गर्मियों में तीन इंच रहता है। पानी से किसान अपनी नकदी फसलें उगाते हैं।
उन्होंने बताया कि करीब एक वर्ष पहले गरपेंया गांव के लिए सिंचाई योजना स्वीकृत की गई थी। इस योजना के निर्माण में घटिया सामग्री का प्रयोग किया गया है जिससे पानी सारा डेम में ही लीक हो रहा है। ओम प्रकाश शर्मा ने बताया कि लोगों की मांग के अनुरूप वन विभाग द्वारा पाईपें भी उपलब्ध करवाई गई है जिसे वापस लौटा दिया गया है। इस योजना के तहत एक भंडारण टैंक निर्मित किया गया है, जिसमें करीब एक वर्ष से पलस्तर भी नहीं हुआ है। इस योजना का किसानों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है। किसानों ने इस योजना के कार्यान्वयन में बरती गई अनियमितता की उच्च स्तरीय जांच करवाने की मांग की है।
उधर, परियोजना के डीएफओ नरेन्द्र पाल दुल्टा ने बताया कि गरपेंया सिंचाई योजना के लिए प्रोजेक्ट के तहत 4.60 लाख की राशि स्वीकृत की गई है तथा इस योजना का निर्माण तकनीकी रिपोर्ट एवं प्राक्कलन के आधार पर किया जा रहा है ।
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