सराहां के शशिकांत शर्मा बने सिविल जज -35 की उम्र में पास की सिविल सेवा परीक्षा

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यदि मन में कुछ बड़ा करने का उत्कट विश्वास हो तो कोई भी रूकावट मंजिल तक पहुंचने से नहीं रोक सकती। अपने लक्ष्य को सामने रखकर की गई मेहनत हमेशा फल देती है। यह साबित कर दिखाया साधारण परिवार में जन्म लेकर सिविल जज की कुर्सी तक पहुंचे सराहां के शशिकांत शर्मा ने।
सिविल जज बने शशिकांत शर्मा ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, परिजनों व सीनियर कौंसिल को दिया है। उन्होंने बताया कि प्रेक्टिस के साथ वह 5 से 6 घंटे पढ़ाई में लगाते हैं।
राज्य लोक सेवा आयोग की ओर से करवाई गई हिमाचल प्रदेश न्यायिक सेवा परीक्षा – 2019 की जारी मैरिट सूची में पच्छाद के युवा वकील शशिकांत शर्मा का चयन हुआ है। पच्छाद उपमंडल की बाग पशोग पंचायत के साधारण परिवार में जन्में 35 वर्षीय युवा वकील शशिकांत का चयन सिविल जज के तौर पर हुआ है। लग्न, कड़ी मेहनत व निरंतर प्रयासों के दम पर उन्होंने 11 जजों में स्थान पाकर यह सफलता हासिल की है। मूलरूप से पच्छाद के पानवा गांव निवासी शशिकांत शर्मा एक साधारण परिवार से संबंध रखते हैं। इनके पिता रमेश दत शर्मा राज्य बिजली बोर्ड में सेवारत थे, जबकि माता लीला देवी गृहणी हैं।
न्याय की कुर्सी तक पहुंचने का सपना हुआ पूरा
न्यायिक सेवा उनका सपना ही नहीं बल्कि जुनून के समान था जो उन्होंने यह मुकाम हासिल कर पूरा किया है। गांव के स्कूल पांनवा से मिडिल पास कर 12वीं तक कि शिक्षा उन्होनें वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल सराहां से ली। पीजी कॉलेज नाहन से बीए करने के बाद हिमालयन कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज कालाअंब से उन्होंने एलएलबी किया। वर्ष 2009 से यह प्रेक्टिस में आ गए थे जहां उन्होंने अपने सीनियर कौंसिल अरुण कुमार के सानिध्य में अपने कैरियर की शुरुआत की।
अपने लक्ष्य को सामने रखकर शशिकांत ने प्रैेक्ट्सि के साथ साथ पढाई जारी रखी। न्यायिक सेवा की परीक्षाएं देते हुए उन्होंने कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से एलएलएम की डिग्री हासिल की।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक