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सराज त्रासदी: बेटे को तीन दिन बाद चला पता “नहीं रहे पिता”, अंतिम दर्शन भी नहीं हुए नसीब

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सराज क्षेत्र में हुई भीषण त्रासदी की कई ऐसी मार्मिक कहानियां सामने आ रही हैं जिन्हें देखकर और सुनकर यही अहसास होता है कि आपदा के उस दौर को सराज के लोगों ने कैसे झेला होगा और अभी भी झेल रहे हैं। थुनाग में अपनी छोटी सी ट्रांसपोर्ट चलाने वाले 59 वर्षीय बुद्धे राम की भी कुछ ऐसी ही कहानी है। जब थुनाग में आपदा आई तो शेष दुनिया से इसका संपर्क पूरी तरह से कट गया। बुद्धे राम का बेटा बबलू काम के सिलसिले में कहीं बाहर गया हुआ था।

बबलू ने बताया कि उसे थुनाग में आई आपदा के बारे में तो पता चल गया था लेकिन यह मालूम नहीं था कि वो इस प्रलय में अपने पिता को खो चुका है। आपदा के तीसरे दिन बाद जब बगस्याड़ तक गाड़ियां पहुंची तो वहां से पैदल ही घर तक निकल गया। रास्ते में पता चला कि तीन दिन पहले आपदा वाली रात को पिता का देहांत हो चुका था। बबलू को अपने पिता के अंतिम दर्शनों का भी मौका नहीं मिला। उसके वापिस घर पहुंचने से पहले ही पिता का अंतिम संस्कार हो चुका था। बबलू का छोटा भाई यशवंत घर पर ही था जिसने सारी रस्मों को निभाया। आपदा में बबलू के घर की एक मंजिल और ट्रकों सहित अन्य छोटी गाड़ियां भी मलबे में पूरी तरह से दब गई हैं।

   बबलू के किराएदार पवन कुमार ने बताया कि आपदा की रात पहले सामने वाला घर चपेट में आया तो बुद्धे राम ने वहां से 10 लोगों को लाकर अपने घर में पनाह दी, जिसमें दो बच्चे भी शामिल थे। लेकिन बाद में अपना घर ही आपदा की चपेट में आ गया। पवन ने बताया कि घर के साथ खड़े ट्रकों को पानी ने अपनी चपेट में लिया तो मकानमालिक बुद्धे राम ने हौंसला दिखाते हुए कहा कि ऐसी गाड़ियां हजारों आ जाएंगी, अभी यहां से भागो और अपनी जान बचाओ। उस वक्त घर पर 25 लोग मौजूद थे।

   वे कई लोगों को खेतों की तरफ सुरक्षित लेकर चले गए, लेकिन खुद वहां पहुंचते ही ढेर हो गए। हमने उनके हाथ-पैर और छाती में पंपिंग करके उन्हें बचाने की कोशिश तो की लेकिन बचा नहीं सके। बुद्धे राम के घर की जो मंजिल मलबे में दब गई है वहां अधिकतर किराएदार ही रहते थे। इन किराएदारों का भी भारी भरकम नुकसान हुआ है।

 

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक