संघर्षपूर्ण जीवन के लिए आभार जरूरी : बसु राय

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“कृतज्ञता की भावना सबसे महत्वपूर्ण लक्षणों में से एक है जो हर किसी के पास एक संघर्षपूर्ण जीवन के लिए होना चाहिए”। यह बात प्रसिद्ध बाल श्रम कार्यकर्ता बासु राय ने शूलिनी विश्वविद्यालय में आयोजित “गुरु वार्ता” में कही। वह आत्मकथा “फ्रॉम द स्ट्रीट्स ऑफ काठमांडू” के लेखक और बासु राय इनिशिएटिव फाउंडेशन के संस्थापक भी हैं।

    

सर्वशक्तिमान और दुनिया ने आपको जो प्रदान किया है, उसके लिए आभार व्यक्त करना और महसूस करना एक सार्थक और संघर्षपूर्ण जीवन के लिए महत्वपूर्ण है । उन्होंने कहा कि वह काठमांडू की सड़कों पर अनाथ होने के बाद से उन को  दी गई सभी दयालुता के लिए आभारी हैं। उन्होंने कहा कि वह  लोगों से मिले सभी अवसरों के लिए  उनके आभारी हैं जिन्होंने उन्हें अपने लक्ष्य की ओर अगले कदम उठाने में मदद की।

    

उन्होंने शूलिनी विश्वविद्यालय के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर किए, जिसके तहत उनका फाउंडेशन विश्वविद्यालय के छात्रों का मार्गदर्शन करेगा। फाउंडेशन बाल सुरक्षा और यौन शोषण से संबंधित प्रोजेक्ट देगा। वह इन संवेदनशील विषयों को संभालने के तरीके को समझने के लिए मेंटरशिप भी देंगे। बदले में प्रशिक्षित छात्र दूसरे स्कूलों में जाकर जागरूकता सत्र आयोजित करेंगे।

    

एमओयू के तहत, बासु राय बाल श्रम के लिए शूलिनी विश्वविद्यालय के साथ काम करेंगे। शूलिनी विश्वविद्यालय के छात्र स्वेच्छा से काम करेंगे। इसके अलावा   बदलाव लाने के लिए गतिविधियों और कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा।

   

विश्वविद्यालय की ओर से कुलपति प्रोफेसर अतुल खोसला द्वारा एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए, डीन छात्र कल्याण श्रीमती पूनम नंदा की उपस्थिति में। इससे पहले अपने “गुरु टॉक” के दौरान, बसु ने कहा कि उनका सपना उन बच्चों के लिए घर बनाना है जिनके पास परिवार नहीं है और उन दादा-दादी के लिए जिनके परिवार ने उन्हें छोड़ दिया है। ऐसा करने से वह बच्चों और दादा-दादी दोनों की जरूरतों को पूरा करेंगे।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक