श्रम कानून संशोधन के विरोध में सीटू का प्रदर्शन
सोलन: सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियनज़(सीटू)जिला कमेटी सोलन ने सभी ट्रेड यूनियनज़ के अखिल भारतीय आह्वान पर भारत सरकार व हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा श्रम कानूनों में किये जा रहे संशोधनों की के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन किया। सीटू का मानना है कि श्रम कानूनों में किये गए ये बदलाव पूर्णतः मजदूर विरोधी हैं। इन बदलावों से भारत व हिमाचल प्रदेश के करोड़ों मजदूरों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। इनसे देश के मजदूर वर्ग का लगभग 73 प्रतिशत हिस्सा श्रम कानूनों के दायरे से बाहर हो जाएगा। देश के 44 श्रम कानूनों को खत्म करके केवल 4 लेबर कोडों में तब्दील किया जाएगा जिससे नियोक्ताओं को फायदा होगा व मजदूरों का शोषण और ज़्यादा गहरा होगा।
सीटू का कहना है कि हिमाचल प्रदेश में हुए श्रम संशोधनों से अकेले हिमाचल प्रदेश में फैक्ट्रीज़ एक्ट में बदलाव से प्रदेश के 5,175 पंजीकृत कारखानों में कार्य करने वाले 3,50,550 मजदूर बुरी तरह प्रभावित होंगे। ठेका मजदूर कानून में बदलाव से प्रदेश में लाखों ठेका मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा बिल्कुल नष्ट हो जाएगी। इन बदलावों के परिणाम स्वरूप प्रदेश में लाखों औद्योगिक मजदूरों की स्थिति बंधुआ मजदूरों जैसी हो जाएगी। इन बदलावों के चलते नियमित किस्म का कार्य खत्म हो जाएगा व फिक्स टर्म कार्य के ज़रिए मजदूरों का भारी शोषण होगा। इन बदलावों से न्यूनतम वेतन कानून के अनुसार बनने वाले मजदूरों के रिकॉर्ड की प्रक्रिया भी खत्म हो जाएगी। इन बदलावों से मजदूरों के कार्य के घण्टे आठ से बढ़कर बारह हो जाएंगे जिस से न केवल कार्यरत मजदूरों का शोषण बढ़ेगा अपितु एक-तिहाई मजदूर रोज़गार से वंचित हो जाएंगे। इस तरह ये बदलाव पूरी तरह मजदूरों के खिलाफ हैं। ये बदलाव पूंजीपतियों,उद्योगपतियों व ठेकेदारों के हित में हैं व इससे मजदूरों का शोषण बढ़ेगा।
इस मौके पर सीटू ने निम्नलिखित मांगों को प्रदेश व केंद्र सरकार के समक्ष रखा:-
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श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधनों पर रोक लगाई जाए।
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44 श्रम कानून के बदले 4 लेबर कोडों की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए।
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सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण पर रोक लगाई जाए।
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50 वर्ष की आयु अथवा 30 वर्ष का कार्यकाल पूर्ण करने वाले नियमित सरकारी कर्मचारियों की छंटनी व जबरन रिटायरमेंट पर रोक लगाई जाए।