शिव मंदिर करमाणु में धूम-धाम से मनाया गया शिव पार्वती विवाह

प्राचीन मंदिर में चल रही शिव महापुरण कथा के छठे दिन कथा व्यास आचार्य विजय भरदवाल ने अपनी वाणी से नवधा भक्ति का विस्तार से निरूपण किया। पूज्य व्यास ने कहा कि साधक को विना साधना के साध्य की प्राप्ति होना कठिन है। साधक निःस्वार्थ भक्ति के बल पर ही भगवान को प्राप्त कर सकता है।
उन्होनें कहा कि माता पार्वती ने भगवान शिव को प्रपट करने के लिए कठोर ताप किया तथा अनेकों परीक्षाओं में उत्तीर्ण होने के बाद ही भगवान सिव को पति रूप में प्रपट कर सकी। इसी प्रकार भक्तों के जीवन में भी अनेकों परीक्षाएं होती है। और इन दुख रूपी पृक्षों से वही उत्तीर्ण होता है जिसके जीवन में प्रभु भक्ति तथा भगवान पर अटूट विश्वास होता है। उन्होनें कहा कि शिव कृपा सुनने से जीवों के समस्त पापों का विनाश होता है। अतः समस्त प्राणियों को कल्याण स्वरूप भी शिव महापुराण की शरण ग्रहण करनी चाहिए।