शिमाल जिला में डिप्लोमा अमान्य पाए जाने पर 15 भाषा अध्यापकों को सरकार ने बाहर का रास्ता दिखाया है। निकाले गए भाषा अध्यापकों में से 12 लोग चौपाल विधानसभा से संबंधित हैं जबकि एक अध्यापक मॉडल स्कल कुपवी का भी शामिल है। इन सभी अध्यापकों की सेवाएं बर्खास्त हुई हैं। साथ ही उपनिदेशक प्रारंभिक शिक्षा की ओर से शिक्षकों के नियमितिकरण के आदेशों को वापस लेने के आदेश जारी किए गए हैं।
दरअसल विभाग द्वारा भाषा अध्यापक पद के लिए भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के तहत आवश्यक डिप्लोमा के आधार पर अगस्त 2020 में इन पंद्रह शिक्षकों को नियमित करने के आदेश जारी किए गए थे। इन शिक्षकों ने पीटीए के आधार पर स्कूलों में सेवाएं शुरू की थीं। सरकार के फैसले के अनुसार ही आवश्यक डिप्लोमा धारकों को नियमित करने के आदेश विभाग की और से जारी किए थे। लेकिन मामला कोर्ट में जाने के बाद नियमित आधार पर सेवाएं दे रहे इन शिक्षकों के डिप्लोमा अब अमान्य पाए गए हैं। इन शिक्षकों ने हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग और अलाहबाद से डिप्लोमा किया था जो मान्य नहीं है। इस आधार पर इनके नियमितिकरण के आदेशों को वापस ले लिया गया है। अब ये शिक्षक स्कूलों में अपनी सेवाएं भी नहीं दे पाएंगे।
वहीं, हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ के प्रांत महामंत्री डॉ मामराज पुंडीर ने सरकार और शिक्षा विभाग से मांग की है कि इस प्रकार की नियुक्तियों से अध्यापकों के मनोबल को तोड़ा गया है। 2006 से यह अध्यापक सरकारी विभाग में सेवाएं दे रहे हैं। डॉ पुंडीर ने कहा कि जिन विद्यालयों में इनकी नियुक्ति हुई है वहां का प्रशासन सन्देह के घेरे में आता है। हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ के प्रांत महामंत्री डॉ मामराज पुंडीर ने कहा कि नियुक्ति से आज तक विभाग कहां सोया था। इसके साथ ही उन्होंने सरकार से सभी शिक्षकों की डिग्री जांच करने की मांग उठाई है।
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