शिमला में निजी बसों के पहिये थमे, अनिश्चितकालीन हड़ताल से लोगों को भारी परेशानी
राजधानी शिमला में सोमवार सुबह से निजी बस चालक व परिचालक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए, जिसका असर सुबह से ही पूरे शहर में दिखाई देने लगा। वर्किंग डे होने के कारण इस हड़ताल ने आम जनता की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। करीब 100 से ज्यादा निजी बसों के पहिए थम जाने से लोगों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।सुबह से ही शहर के अधिकांश रूटों पर निजी बसें न चलने के कारण बस स्टॉप और मुख्य सड़कों पर यात्रियों की भीड़ नजर आई। दफ्तर जाने वाले कर्मचारी, स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थी और रोजाना काम पर जाने वाले लोग खास तौर पर प्रभावित हुए। कई जगहों पर लोग घंटों तक बसों का इंतजार करते रहे। निजी बसें न चलने से हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) की बसों में यात्रियों की संख्या अचानक बढ़ गई। शहर के बस स्टोपेजों और प्रमुख चौकों पर यात्रियों की लंबी कतारें लग गईं।
हड़ताल के चलते जनता को राहत देने के लिए परिवहन निगम ने अतिरिक्त बसें चलाने का निर्णय लिया है। निगम के चालकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे शहर के भीतर जहां-जहां यात्रियों की भीड़ हो, वहां बसें रोककर यात्रियों को बिठाएं ताकि लोगों को अधिक परेशानी न हो।
शिमला सिटी निजी बस चालक-परिचालक संघ के आह्वान पर यह हड़ताल शुरू की गई है। संघ का आरोप है कि 40 किलोमीटर से अधिक दूरी से आने वाली बड़ी बसों को शहर और पुराने बस अड्डे (ओल्ड बस स्टैंड) में प्रवेश नहीं दिया जाना चाहिए, लेकिन प्रशासन इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहा। संघ का कहना है कि इन बड़ी बसों के शहर में प्रवेश से ट्रैफिक जाम लग रहा है और निजी बसों के रूट प्रभावित हो रहे हैं, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
संघ के महासचिव अखिल गुप्ता ने बताया कि 12 अक्टूबर को निगम अधिकारियों के साथ हुई बैठक में यह तय किया गया था कि बड़ी बसों के प्रवेश पर रोक लगाई जाएगी, मगर अब तक यह आदेश लागू नहीं हुए हैं। इसी कारण मजबूर होकर संघ ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का निर्णय लिया।
संघ का कहना है कि जब तक उनकी मांगों पर प्रशासन ठोस कदम नहीं उठाता, तब तक हड़ताल जारी रहेगी।
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