शिमला: कोरोना संक्रमितों के घर-द्वार मुफ्त खाना पहुंचा रहा होटल लैंडमार्क

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कोरोना कर्फ्यू के चलते शिमला का होटल लैंडमार्क 3 मई से बंद है। सैलानियों के न आने से पिछले 20 दिनों से कोई कमाई नहीं हुई। बावजूद इसके कोरोना संकट में होटल शहर के 20 संक्रमित लोगों के परिवारों को रोजाना दोपहर और रात का खाना मुफ्त उपलब्ध करवा रहा है। होटल के शेफ पीपीई किट पहनकर किचन में रोजाना कोरोना संक्रमितों के लिए खाना तैयार कर रहे हैं। रविवार को होटल के कर्मियों ने कैथू, अनाडेल, नाभा और न्यू शिमला में संक्रमित लोगों के घर-द्वार खाना उपलब्ध करवाया।

ऐसे क्षेत्रों में जहां होटल की गाड़ी नहीं जा सकती, वहां बाइक से खाना पहुंचाया गया। खाने में पनीर की सब्जी, सूखी सब्जी, दाल, चावल, चपाती और स्वीट डिश उपलब्ध करवाई जा रही है। होटल के महाप्रबंधक राजीव अग्रवाल ने बताया कि होटल के कर्मी घर-द्वार खाना पहुंचा रहे हैं। स्टाफ की सुरक्षा के लिए फेस शील्ड, मास्क, ग्लब्स और सैनिटाइजर उपलब्ध करवाए गए हैं। होटल के 10 कर्मी इस सेवा में लगे हैं। इन्हें पूरा वेतन दिया जा रहा है।

कोरोना संकट में लोगों की सेवा का मौका : गोपाल
होटल संचालक गोपाल अग्रवाल ने बताया कि पिछले दिनों शहर के एक होटल कारोबारी का पूरा परिवार कोरोना संक्रमित हो गया। उन्होंने परिवार को खाना भिजवाने का आग्रह किया। होटल कारोबारी की मदद करना तो दायित्व था, लेकिन सोचा कि संकट के इस समय में शहर के दूसरे कोरोना संक्रमित लोगों के परिवारों को भी खाने की दिक्कत आ रही होगी। बस इसी सोच के साथ लोगों की सेवा शुरू कर दी।

चार बच्चों की पढ़ाई का खर्चा भी उठा रहे गोपाल अग्रवाल
शिमला के होटल लैंड मार्क और गुलमर्ग रीजेंसी के संचालक गोपाल अग्रवाल चार बच्चों की पढ़ाई का पूरा खर्चा भी उठा रहे हैं। अग्रवाल का कहना है कि जरूरतमंद बच्चों की पढ़ाई के लिए उनके पिता भी मदद करते थे, वही सिलसिला उन्होंने भी जारी रखा है। जिन बच्चों की पढ़ाई के लिए मदद की है, वे प्रदेश विश्वविद्यालय और कॉलेजों में नौकरी भी हासिल कर चुके हैं।

 

इन नंबरों पर संपर्क कर मंगवा सकते हैं खाना
मोबाइल नंबर 98053-98233, 88948-78445, 85809-12972 पर कोविड पॉजिटिव रिपोर्ट व्हाट्सएप कर लोग घर पर मुफ्त खाना मंगवा सकते हैं। होटल के 3 किलोमीटर के दायरे में खाना प्राप्त करने के लिए सुबह 10:30 बजे से पहले ऑर्डर करना होगा।

 

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक