व्यवस्था परिवर्तन में 6 माह 70,9,026 चलान 19 करोड़ 93 लाख राजस्व प्राप्ति : विवेक शर्मा
सोलन:- विवेक शर्मा भा.ज.पा प्रवक्ता ने हिमाचल सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहां के विधानसभा में चालान पर चर्चा क्यों नहीं हिमाचल प्रदेश को डी.बी.टी (यानी के) direct benefit transfer के माध्यम से चालान द्वारा 19 करोड़ 93 लाख 151 रुपए प्राप्त हुए हैं।
एक रिपोर्ट में जो तथ्य सामने आए हैं वह बेहद चौंकाने वाले हैं। हिमाचल पुलिस डिजिटल हाईटेक उपकरणों का लाभ उठा रही है। जनवरी 2025 से जून 2025 के मध्य मात्र 6 महीना में 7 लाख 9 हजार 26 वाहनों के चालान हुए हैं जिसमें 1,94,076 वाहन चालकों ने डी.बी.टी के माध्यम प्रदेश सरकार को सहयोग राशि दी है। इनमें
1,76,510 चालानो का औचित्य भी बनता है।
आंकड़ों पर नजर बनाए तो
ड्रिंक एंड ड्राइव 7,693,
वाहन चलाते समय मोबाइल उपयोग करने पर, 6,497
बिना लाइसेंस के वाहन चलाने पर ,9,796. और
1,52,524. बिना हेलमेट के दो पहिया वाहन चलाने पर हुए हैं। अपित 7 लाख 9 हजार 26 चालानों में
5,32,516 चालान आइडियल पार्किंग के हुए हैं। जो कि गत वर्ष 2024 में भिन्न-भिन्न श्रेणी में हुए। कूल हुए 4,12,050 चालान
से 27 % अधिक चालान गत 6 महीने में हो गए हैं। हिमाचल प्रदेश की सड़कों पर पड़े गड्डे बताते हैं के ओवर स्पीडिंग की संभावना कितनी है। प्रदेश सरकार वाहन खरीदने के लिए प्रोत्साहित करती है क्योंकि उस से प्रदेश सरकार को अनेक माध्यमों से राजस्व प्राप्ति होती है। वहीं प्रशासन वाहन को सड़क पर खड़ा करने पर प्रताड़ित करता है। रजिस्ट्रेशन के समय वाहन मालिक से अपनी पार्किंग होने का शपथ पत्र (affidavit) लिया जाता है। अगर प्रदेश की राजधानी शिमला का ही आंकड़ा लिया जाए जाए 8000 वाहनों की पार्किंग और एक लाख से अधिक गाड़ियां रजिस्टर्ड हैं। व्यक्ति वाहन चलाने के लिए लेता है ना के ड्राइंग रूम में खड़ा करने के लिए, एफिडेविट तो सरकार को देना चाहिए कि हम आपको सार्वजनिक स्थलों पर पार्किंग उपलब्ध करवा कर देंगे। हिमाचल प्रदेश के किसी भी पर्यटक स्थल पर, प्रदेश सचिवालय से लेकर जिला कार्यालय तक, अस्पतालों से लेकर पुलिस थानों तक, फल सब्जी मंडी से लेकर न्यायालय तक कहीं भी विकसित पार्किंग नहीं है। कानून व्यवस्था के नाम पर दुर दराज के क्षेत्र से आए हुए प्रदेशवासी हो या पर्यटकों, का उत्पीड़न है
और जो रिवेन्यू चालान के माध्यम से पुलिस एकत्रित करती है वह उनकी आय का स्रोत बन गया है। जब के यह उगाही स्थानीय निकायों, नगर निगम, नगर परिषद, पंचायत आदि को देने की आवश्यकता है ताकि वह अपने क्षेत्र में उस पैसों से पार्किंग विकसित कर सके। इस मुद्दे पर जनहित में विधानसभा में चर्चा होनी चाहिए। अगर पुलिस प्रशासन जिला वार आंकड़ों पर नजर डालें तो
लाहौल स्पीति: 8391
देहरा : 11285
किन्नौर : 12750
नूरपुर: 15946
चंबा : 30611
कांगड़ा: 36844
सोलन: 37599
हमीरपुर: 43937
सिरमौर: 44361
शिमला: 55660
बद्दी : 56935
ऊना : 70636
बिलासपुर: 71292
कुल्लू: 84741
मंडी: 128002
गत 6 माह के आंकड़ों में अगर लाहौल स्पीति को छोड़ दें तो, जिला देहरा की जनता बहुत समझदार है या साहब का आशीर्वाद है। वहां केवल 11285 चालान है। जब के जिला मंडी में 1,28,002 मंडी वाले प्रदेश को आर्थिक सहयोग करने में भी पीछे नहीं हैं। यह समझना जरूरी है क्या यह (target) लक्ष्य निर्धारित योजना है या विभागीय प्रतिस्पर्धा अपितु प्रताड़ना महत्वपूर्ण प्रश्न है। जनहित में विधानसभा में चर्चा अनिवार्य है।