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वैज्ञानिक नीति से भवनों का निर्माण होना जरूरी, भू-वैज्ञानिकों ने चेताया

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भारी बारिश से शिमला शहर में हुए नुकसान के बाद भू-वैज्ञानिकों ने भवनों के निर्माण में वैज्ञानिक नीति के इस्तेमाल की जरूरत बताई है। वैज्ञानिकों ने सलाह दी है कि किसी भी निर्माण से पहले वहां की मिट्टी की जांच करवाना जरूरी की जाए। बारिश से शिमला सर्किल में लोक निर्माण विभाग ने 138 करोड़ रुपये के नुकसान का आकलन किया है। यह केवल सड़कों को हुई क्षति का आंकड़ा है। भवनों, डंगों और अन्य सामुदायिक संपत्तियों के नुकसान को जोड़ा जाए तो शहर में 500 करोड़ से ऊपर की क्षति हुई है। शहर में अधिकतम नुकसान उन इलाकों में हुआ है जहां तलछटी चट्टानों पर भारी बारिश से दबाव पड़ा।

समरहिल के शिव मंदिर में जहां भूस्खलन की वजह से 20 लोगों ने जान गंवाई थीं उसमें भू-वैज्ञानिकों ने अपने शोध में खुलासा किया है कि जमीन में पानी रिसने से यह हादसा हुआ था। पानी रिसने से चट्टानों की संरचनात्मक अखंडता में कमजोरी आई जिससे भूस्खलन हुआ। शहर में विभिन्न इलाकों में हुए नुकसान के पीछे भी तलछटी चट्टानों पर बड़ी इमारतों का निर्माण और जल निकास का न होना मुख्य वजह सामने आई है। शिमला शहर का निर्माण 20,000 लोगों के लिए हुआ था लेकिन आज यहां दो लाख से ऊपर लोग रह रहे हैं। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के प्रावधानों के मुताबिक शहर में दो मंजिलों से ऊपर के घरों के निर्माण पर रोक लगनी चाहिए और हर बड़े निर्माण कार्य से पहले जियोलॉजिकल सर्वे होना चाहिए।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक