वीरभद्र की अंतिम विदाई के बीच कांग्रेस नेताओं में हुई भविष्य की चिंता
दिवंगत नेता वीरभद्र सिंह को अंतिम विदाई देने से पूर्व रामपुर पद्म पैलेस में जुटे कांग्रेस के कई नेता जहां उनके निधन से व्यथित थे, वहीं उन्हें पार्टी के भविष्य की चिंता भी सता रही थी। बाहर प्रचंड धूप तपी तो अंदर पद्म पैलेस के एक कक्ष में वीरभद्र समर्थक नेताओं का एक खेमा इकट्ठा बैठकर पार्टी के भविष्य के संकट पर मंत्रणा करने लगा। इन नेताओं की चिंता का केंद्र बिंदु कांग्रेस की सेकंड लाइन थी, जिससे किसी नेता को आगे आना चुनौती से कम नहीं।
इनमें दो पूर्व मंत्री, कुछ विधायक, कुछ पूर्व विधायक और एक पिछले विधानसभा चुनाव के प्रत्याशी भी बताए जा रहे थे। ये सब प्रदेश के एक बड़े जिले से संबंधित हैं, जिसकी प्रदेश की राजनीति की दशा और दिशा तय करने में अहम भूमिका रहती है। कुछ नेता चिंतित थे कि वीरभद्र के 60 साल के राजनीतिक जीवन की उनकी मेहनत से अर्जित पूंजी को कहीं भाजपा मिशन रिपीट के लिए न झटक ले जाए। ऐसे में कई नेताओं ने हॉली लॉज यानी वीरभद्र सिंह के शिमला स्थित निजी निवास को ही धुरी में रखकर अगली रणनीति बनाने का प्रस्ताव रखा, तो एक-दो नेताओं की इस संबंध में अलग राय भी थी।
उल्लेखनीय है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा शुक्रवार को वीरभद्र सिंह को श्रद्धांजलि देने न केवल शिमला आए, बल्कि उन्होंने यहां तक कहा कि वीरभद्र उनके मार्गदर्शक रहे हैं। इससे उन्होंने वीरभद्र समर्थकों को भावुक किया है। वीरभद्र से मिलने नड्डा आईजीएमसी भी पहुंचे थे, पर मिल नहीं पाए थे। नड्डा का यह व्यवहार बेशक कांग्रेस और भाजपा में एक वर्ग शिष्टाचार और आदर का मामला मान रहा हो, मगर इससे कांग्रेस के कुछ खेमों में खलबली है। नड्डा वर्तमान में कोई सामान्य नेता नहीं हैं, वह देश की ताकतवर सत्तासीन पार्टी के अध्यक्ष हैं।
पद्म पैलेस में होते हुए भी अग्निहोत्री चर्चा में शामिल नहीं
दिलचस्प है कि पद्म पैलेस के एक कक्ष में जुटने वाले प्रदेश के इन नेताओं के बीच नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री शामिल नहीं हुए, जबकि वह यहां परिसर में ही मौजूद थे। दूसरी ओर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर श्रद्धांजलि देने एआईसीसी से भेजे नेताओं आनंद शर्मा, भूपेश बघेल, पवन बंसल और राजीव शुक्ला के साथ आए और उन्हें वापस छोड़ने चले गए।
कांग्रेस की गुटबाजी मुखर होने के संकेत
इन सारी चीजों से आगामी दिनों में कांग्रेस की गुटबाजी के मुखर होने का संकेत मिल रहा है। इसे पाटना कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला, सह प्रभारी संजय दत्त और पार्टी प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर के लिए भी चुनौती होगी। इस बड़े जिले से संबंधित इन दिग्गज नेताओं की यह मंत्रणा आने वाले दिनों में कांग्रेस की राजनीति को नया रंग-रूप दे सकती है।