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विस शीत सत्र: सदन में विपक्ष पर भारी दिखी नई सरकार, दो भाजपा विधायक सत्तापक्ष के गलियारों के काटते रहे चक्कर

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शीतकालीन सत्र में नई सरकार विपक्ष पर हावी दिखी। सदन में विपक्ष ने संस्थानों को डिनोटिफाई करने और मंत्रिमंडल का विस्तार न होने को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश की, लेकिन मुख्यमंत्री और उपममुख्यमंत्री की जोड़ी भारी पड़ गई। शुरू से मंत्री पद की कतार में रहे कुलदीप सिंह पठानिया अचानक विस अध्यक्ष बने तो उन्होंने गरिमापूर्ण पद संभालते ही अपना बौद्धिक कौशल दिखाया। सदन के अंदर और बाहर मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने सधी हुई सियासत कर अफसरों और नेताओं को दिखा दिया कि वे उन्हें हल्के में न लें। ऐसी चर्चा हो रही थी कि विधानसभा अध्यक्ष का नाम तय करना कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर साबित होगा, लेकिन सुक्खू ने आधे घंटे के भीतर इस सियासी समस्या से पार पा लिया।

मंत्रिमंडल का विस्तार फिर अटकने की चर्चाओं को विराम देते हुए सुक्खू ने अचानक दिल्ली रवाना होकर मंत्री पद के चाहवानों की धड़कनें तेज कर दीं। यह तक किसी को पता नहीं चला कि वह सत्र के दौरान दिल्ली कब चले गए। सत्र के दौरान भी मंत्री पद के लिए सबसे ज्यादा लॉबिंग में रघुवीर बाली दिखे। वह सत्र के दौरान ही दिल्ली रवाना हो गए। 
सत्र के अंतिम दिन सदन में सुधीर शर्मा की सीट पर चंद्र कुमार बैठा दिए गए। इस चर्चा से राजनीतिक गलियारे गर्म रहे। सुधीर सदन में सत्तापक्ष की प्रथम पंक्ति में दो दिन तक तीसरे नंबर पर बैठाए गए थे। अंतिम दिन इस सीट पर चंद्र कुमार बैठाए गए। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर सहित विपिन परमार ने सरकार पर हमलावर होने की कोशिश की, लेकिन सत्तापक्ष की ओर से भी करारा जवाब मिला। सदन में दर्शक दीर्घा की ओर से गूंजी तालियां और अफसर दीर्घा में अचानक एक कांग्रेस नेता का बैठ जाना चर्चा का विषय रहा। भाजपा के दो नेताओं का बार-बार कांग्रेस की विश्राम गैलरी में जाना भी राजनीतिक गलियारों में कौतूहल बना रहा। दोनों नेता कई बार दल बदल चुके हैं। 

   

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक