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विधायक ने निभाया भरमौर के बेटे होने का फर्ज, रस्सियों के सहारे पहाड़ चढ़कर पहुंचे गांव

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आपदा की घड़ी में जब हर कोई सुरक्षित जगह पर रहना चाहता है, ऐसे समय में भरमौर के भाजपा विधायक डॉ. जनक राज ने अपनी जान की परवाह किए बिना जनता तक पहुंचने का साहस दिखाया। डॉ. जनक राज अपने समय में आईजीएमसी शिमला में एक कुशल चिकित्सक रह चुके हैं। डॉक्टर के रूप में उन्होंने लोगों की सेवा की और अब जनप्रतिनिधि के तौर पर वही जज़्बा आपदा प्रभावितों के बीच जाकर दिखाया।

लगातार हो रही बारिश ने भरमौर क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया है। जगह-जगह भूस्खलन और नालों के उफान से कई गांवों का संपर्क पूरी तरह टूट चुका है। भरमौर ने इस बार मणिमहेश यात्रा के दौरान भीषण त्रासदी झेली है। लगभग एक सप्ताह बीत चुका है, लेकिन कनेक्टिविटी टूटने के कारण अब तक यह साफ नहीं हो पाया है कि क्षेत्र में कितना जानी और अन्य नुकसान हुआ है।

इसी बीच, जब हालात बेहद चुनौतीपूर्ण थे, तब विधायक डॉ. जनक राज रस्सियों के सहारे खड़ी पहाड़ी पर चढ़ते हुए और उफनते नाले को पार करते हुए प्रभावित परिवारों तक पहुंचे। उनके साथ राहत सामग्री भी थी, जिसे उन्होंने स्थानीय लोगों तक पहुंचाया। ग्रामीणों ने विधायक के इस साहसिक कदम की जमकर सराहना की और कहा कि उन्होंने सचमुच “भरमौर के बेटे” का फर्ज निभाया है। उनका यह कदम केवल राहत पहुंचाने का प्रयास नहीं था, बल्कि लोगों के मनोबल को भी बढ़ाने वाला साबित हुआ।

दरअसल, जनप्रतिनिधियों के ऐसे वीडियो बेहद दुर्लभ होते हैं। आमतौर पर नेता सुरक्षित घेरे में आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करते हैं। लेकिन डॉ. जनक राज ने खतरनाक रास्तों से गुजरते हुए प्रभावितों तक पहुंच कर एक मिसाल कायम की है। इससे पहले भी विधायक जनक राज के कई वीडियो सामने आ चुके हैं, जिनमें वे शादी समारोह में शामिल होने जाते हैं, लेकिन वहां मौजूद मरीज उन्हें देखकर अपना चेकअप कराने पहुंच जाते हैं। ऐसे मौकों पर वे बिना किसी संकोच के मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण करते हैं और उन्हें दवाइयां व आवश्यक सलाह भी देते हैं।

उन्होंने कहा कि वे हर संभव मदद प्रभावित परिवारों तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और जल्द ही सरकार से राहत व पुनर्वास कार्यों को तेज करने का आग्रह करेंगे।

 

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक