हिमाचल में माकपा ने कांग्रेस को समर्थन देने का फैसला किया है। इंडी-एलायंस में साझेदारी निभाते हुए लोकसभा सीटों पर माकपा अपने प्रत्याशी नहीं उतारेगी। माकपा के इस फैसले का सबसे बड़ा असर शिमला संसदीय क्षेत्र में देखने को मिलेगा। यहां माकपा का बड़ा वोट बैंक है। इसके अलावा मंडी माकपा का दूसरा घर भी है। माकपा के इस समर्थन का असर मंडी संसदीय सीट पर भी देखने को मिल सकता है। यहां से कांग्रेस के विक्रमादित्य सिंह भाजपा की कंगना रणौत के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। शिमला संसदीय सीट की बात करें, तो शिमला और ठियोग से माकपा के राकेश सिंघा विधायक रह चुके हैं, जबकि नगर निगम शिमला में मेयर और डिप्टी मेयर की सीट पर भी माकपा कब्जा जमा चुकी है। छात्र संघ चुनावों के दौर में लंबे समय तक विश्वविद्यालय में माकपा का दबदबा रहा है। अब माकपा के इस समर्थन से कांग्रेस को लाभ मिलने की संभावना है। बीते विधानसभा चुनाव में हालांकि माकपा का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा था, लेकिन प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों पर माकपा ने अपने प्रत्याशी उतारे थे। माकपा को पूरे प्रदेश में 27 हजार 111 वोट मिले थे।