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लाहौल में मिली उड़ने वाली दुर्लभ ऊनी गिलहरी, सात दशकों तक माना जाता रहा विलुप्त प्रजाति

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लाहौल-स्पीति जिले की मयाड़ घाटी में उड़ने वाली ऊनी गिलहरी मिली है। हिमाचल प्रदेश वन विभाग के वन्यप्राणी विंग की ओर से घाटी में बर्फानी तेंदुआ की संख्या पता लगाने के लिए लगाए गए कैमरों में उड़ने वाली गिलहरी (यूपेटॉरस सिनेरेउस) की तस्वीर कैद हुई है। वन विभाग वन्यप्राणी विंग 2023 से लाहौल-स्पीति में बर्फानी तेंदुआ की संख्या का आकलन कर रहा है। बीते साल 10 अक्तूबर से 4 दिसंबर के बीच की कैमरा रिकार्डिंग के अनवेषण के दौरान उड़ने वाली ऊनी गिलहरी की तस्वीर कैद हुई है।

उत्तर-पश्चिम हिमालय की विलक्षण और दुर्लभ प्रजाति को लगभग सात दशकों तक विलुप्त माना जाता था, 1994 में इसकी दोबारा खोज हुई। हिमाचल में इसका मिलना राज्य की जैव विविधता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धि है। साथ ही यह भी स्पष्ट हो गया है कि बर्फानी तेंदुआ के प्राकृतिक वास में भी उड़ने वाली गिलहरी का भी प्राकृतिक वास हो सकता है। वन विभाग का वन्य प्राणी विंग बर्फानी तेंदुए की संख्या का आकलन करने के लिए भारत सरकार की ओर से निर्धारित स्नो लैपर्ड पॉपुलेशन एसेसमेंट इन इंडिया (एसपीएआई) प्रोटोकॉल के अंतर्गत अध्ययन कर रहा है। अध्ययन क्षेत्र में 62 कैमरा ट्रैप लगाए गए थे। सर्वेक्षण वन्यजीव प्रभाग की ओर से प्राकृतिक संरक्षण फाउंडेशन (एनसीएफ) के सहयोग से किया गया। इन दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों में कैमरा ट्रैप स्थापित करने में स्पीति के किब्बर गांव के युवाओं ने सहयोग किया है।

 

अनुमानित संख्या पता लगाने और सरंक्षण के होंगे प्रयास
बर्फानी तेंदुए की संख्या का आकलन करने के लिए लगाए गए कैमरा ट्रैप उड़ने वाली गिलहरी की तस्वीर कैद हुई है। इससे यह साफ हो गया है कि बर्फानी तेंदुए और उड़ने वाली गिलहरी का हैबिटेट एक हो सकता है। विभाग अब इनकी अनुमानित संख्या का पता लगाने का प्रयास करेगा साथ ही इस प्रजाति के सरंक्षण के लिए प्रयास किए जाएंगे- अमिताभ गौतम, प्रधान अरण्यपाल (वन्यप्राणी) वन विभाग।हिम तेंदुआ, लाल लोमड़ी, हिमालयी भेड़िया और नेवला भी
वन्य प्राणी विंग की ओर से बर्फानी तेंदुए की संख्या पता लगाने के लिए करवाए जा रहे सर्वेक्षण में उड़ने वाली ऊनी गिलहरी के अलावा हिम तेंदुआ, लाल लोमड़ी, हिमालयी भेड़िया और नेवला की भी मौजूदगी का पता चला है। ये प्रजातियां आमतौर पर चट्टानी ढलानों वाले क्षेत्रों में पाई जाती हैं।

 

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक