राहत भरी खबर: हिमाचल के कोविड अस्पतालों में 20 से 40 प्रतिशत तक खाली हो गए बेड
हिमाचल में कोरोना मामलों की रफ्तार कम होने के साथ ही कोविड अस्पतालों से राहत भरी खबर है। मेडिकल कॉलेजों और बड़े अस्पतालों में में एक से दो सप्ताह पूर्व पैक रहने वाले रहने वाले बेड अब 20 से 40 फीसदी तक खाली हो गए हैं। कांगड़ा, शिमला, मंडी के मेडिकल कॉलेज हमेशा पैक रहते थे। प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी और समर्पित कोविड केयर सेंटर डीडीयू में दाखिल कोरोना मरीजों का आंकड़ा घटने लगा है। इन दोनों अस्पतालों में इन दिनों 50 से लेकर 80 बिस्तर खाली पड़े हैं। डीडीयू में 135 में से 60 बिस्तर और आईजीएमसी में 300 में से 70 बिस्तर खाली पड़े हैं।
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आईजीएमसी के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. राहुल गुप्ता ने बताया कि अस्पताल में मरीजों की संख्या में कमी आई है। अधिकांश मरीज बीमारी से ठीक होकर घर लौट रहे हैं। बताया कि कोरोना कर्फ्यू का असर अब देखने को मिल रहा है। कांगड़ा जिला में केवल 419 मरीजों का ही कोविड अस्पतालों और कोविड केयर सेंटरों में उपचार चल रहा है। एक हफ्ता पहले इनकी संख्या करीब 650 थी।

जिला मंडी में कोरोना मामलों में 15 दिन में 40 फीसदी कमी आई है। अस्पतालों में भी कोविड वार्ड खाली होने लगे हैं। नेरचौक मेडिकल कॉलेज में 15 दिन पहले 150 मरीज भर्ती थे जो आज 76 ही रह गए हैं। अन्य मरीज स्वस्थ होकर घर लौट गए। एमसीएच सुंदरनगर में 44 में 22, रत्ति कोविड सेंटर में एक भी मरीज भर्ती नहीं है।
हमीरपुर जिले में बीते 15 दिन में सक्रिय कोरोना मरीजों की संख्या में करीब 60 फीसदी की कमी आई है।
14 मई को जिले में 2995 सक्रिय कोरोना मरीज थे। जो 28 मई तक घटकर 1239 रह गए हैं। मेडिकल कॉलेज नाहन की बात की जाए तो यहां संक्रमितों की हालत में दिनोंदिन सुधार हो रहा है। दो सप्ताह के भीतर मेडिकल कॉलेज एवं कोविड अस्पताल नाहन में उपचाराधीन 30 से अधिक मरीजों ने कोरोना से जंग जीती। इस समय मेडिकल कॉलेज में 40 के करीब मरीज उपचाराधीन हैं। जबकि, 15 दिन पहले 70 से अधिक मरीज अस्पताल में दाखिल किए गए थे।
कर्फ्यू की भेंट चढ़ा मई, राजस्व में आई भारी कमी
हिमाचल प्रदेश में 7 मई से लागू कोरोना कर्फ्यू का जबरदस्त असर प्रदेश सरकार के खजाने पर पड़ा है। प्रदेश में शराब के ठेकों से लेकर आम दुकानों और वाहनों के संचालन में भारी कमी आने के चलते सरकार को करीब लक्ष्य से तीन सौ करोड़ कम टैक्स मिला है। आंकड़ों की मानें तो इस महीने विभाग को आबकारी कर की मद में पचास करोड़ रुपये ही मिले हैं जबकि इस मद में लक्ष्य करीब डेढ़ सौ करोड़ से ज्यादा का था।


