राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने 12वें दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का किया शुभारंभ
टिकाऊ सामग्री, जैव संसाधन एकीकरण प्रौद्योगिकी और पारंपरिक विज्ञान के समन्वय पर आधारित दो दिवसीय 12वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान, पंथाघाटी (शिमला) में किया। इस सम्मेलन का आयोजन हिम विज्ञान कांग्रेस एसोसिएशन और हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में किया गया है, जिसमें देशभर के करीब 75 वैज्ञानिक और शिक्षाविद भाग ले रहे हैं।सम्मेलन का उद्देश्य आधुनिक वैज्ञानिक तकनीकों और पारंपरिक ज्ञान के बीच सामंजस्य स्थापित करना है ताकि सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिल सके। इस अवसर पर राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि “आज के युग में जहां हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं, वहीं पारंपरिक ज्ञान को नज़रअंदाज़ करना सही नहीं है। विज्ञान का उपयोग समाज और राष्ट्रहित में होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे सम्मेलनों के माध्यम से शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों को विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर मिलता है, जिससे समाज को लाभ मिलता है। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को वर्तमान समय की सबसे बड़ी आवश्यकता बताते हुए वैज्ञानिक समुदाय से सतत समाधान तलाशने का आह्वान किया। इस अवसर पर हिम विज्ञान कांग्रेस एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो. दीपक पठानिया ने कहा कि संस्था पिछले 13 वर्षों से विज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए कार्यरत है और बच्चों में वैज्ञानिक सोच विकसित करने की दिशा में कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में देशभर से 150 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। वहीं, हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान के निदेशक (प्रभारी) संदीप शर्मा ने कहा कि संस्थान द्वारा वानिकी से संबंधित शोध के साथ-साथ औषधीय पौधों पर भी विशेष कार्य किया जा रहा है। किसानों को इन पौधों की खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है, ताकि जैव विविधता और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिले। सम्मेलन में प्रस्तुत होने वाले शोध पत्र और विचार आने वाले समय में वैज्ञानिक और पारंपरिक ज्ञान के समन्वय को नया आयाम दे सकते हैं।